इमरजेंसी के दौर में संजय गांधी से ‘दुश्मनी’ मोल ले बैठे थे किशोर कुमार

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(www.arya-tv.com)  मशहूर सिंगर किशोर कुमार का आज यानी 4 अगस्त को जन्मदिन है। किशोर कुमार ने अपनी प्रतिभा से गायकी और फिल्मों में एक ऐसी जगह बनाई है, जो शायद ही कोई दूसरा बना पाए। किशोर कुमार की अपनी गायकी और एक्टिंग के अलावा निजी जिंदगी में एक पहचान और भी है। ये पहचान है कभी ना झुकने वाले इंसान की। उसूलों पर बात आने पर किस तरह से ये उनके 1975 के एक किस्से से पता चलता है, जब देश में इमरजेंसी लगी हुई थी।

ठुकरा दिया था संजय गांधी का ऑफर
1975 में इंदिरा गांधी के इमरजेंसी की घोषणा करने के बाद उनके बेटे संजय गांधी के हाथों में ज्यादातर चीजें थीं। उस समय के सूचना मंत्री विद्याचरण शुक्ल को संजय गांधी ने फिल्मी सितारों के जरिए सरकार के कामकाज का प्रचार कराने का जिम्मा सौंप दिया।
बीसीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, संजय गांधी के कहने पर विद्याचरण शुक्ला ने दिल्ली में म्यूजिकल नाइट का आयोजन किया। इसमें तमाम फिल्मी सितारों के साथ किशोर कुमार को भी बुलाया गया। किशोर कुमार ने ना सिर्फ आने से इनकार किया बल्कि इमरजेंसी की आलोचना भी कर दी।

किशोर कुमार ने भगा दिए थे अफसर
संजय गांधी के खास विद्याचरण शुक्ल ने एक बार फिर सूचना मंत्रालय के कुछ अफसर किशोर कुमार से मिलने मुंबई उनके दफ्तर भेजे। इन लोगों ने किशोर कुमार से कहा कि वो सरकार की योजनाओं की तारीफ के लिए कुछ गीत गा दें। किशोर कुमार भड़क गए और संजय गांधी के करीबी माने जाने वाले अफसरों को हड़काते हुए अपने दफ्तर से भगा दिया

संजय गांधी को जब ये बताया गया तो उन्होंने इसे अपनी बेइज्जती माना। सूचना और प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल के जरिए ऑल इंडिया रेडियो तक मैसेज पहुंचा दिया गया कि किशोर कुमार अब बैन हो गए हैं, उनके गाने नहीं बजाए जाएंगे। इसके बाद रेडियो पर किशोर के गाने आने बंद हो गए। इतना ही नहीं जिन भी फिल्मों से किशोर कुमार किसी भी तरह जुड़े थे, वो भी सेंसर में अटकने लगीं। किशोर कुमार की जीवनी लिखने वाले शशिकांत किनिकर   ने भी किताब में इसका जिक्र किया है कि संजय गांधी से सीधे टकराव के बाद कैसे उनको मुश्किलों का सामना करना पड़ा।