आगरा (www.arya-tv.com) शमसाबाद निवासी विवाहिता को पति और ससुराल वाले दहेज के लिए मारपीट करते थे। उसे बात-बात पर ताना देते थे। परिवार की पंचायत में कई बार पति और ससुराल वालों को समझाया गया। राजीनामा करके बेटी को ससुराल भेजा। मगर, कुछ समय बाद पति और ससुराल वाले पुराने ढर्रे पर आ जाते थे। कोई रास्ता नहीं देख विवाहिता ने पुलिस की मदद ली।
केस दो: हरीपर्वत क्षेत्र निवासी विवाहिता से पति और ससुराल वाले घर का पूरा काम कराते थे। मगर, जब कभी वह बीमार पड़ती तो उसे मायके छोड़कर आ जाते। मायके वाले इलाज कराते। विवाहिता के स्वस्थ होते ही पति उसे अपने साथ लेकर जा आता। दोबारा उस पर घर के सारे कामकाज की पूरी जिम्मेदारी डाल देता। दो महीने पहले पति उसे बीमारी की हालत में मायके छोड़ गया। पति की इस हरकत से क्षुब्ध पत्नी ने पुलिस से शिकायत की। केस तीन: हरीपर्वत के बाग मुजफ्फर खां निवासी विवाहिता का पति उससे आए दिन शराब के नशे में मारपीट करता था। वह कई बार मायके चली आई, इस उम्मीद में पति की आदतों में सुधार हो जाए। वह उससे मारपीट करना छोड़ दे। पति के आश्वासन देने पर कई बार वह उसके साथ चली गई। मगर, पति एक-दो सप्ताह में ही अपना वादा तोड़ देता था। पत्नी को उसे रास्ते पर लाने के लिए पुलिस की मदद लेनी पड़ी।
केस चार: फतेहपुर सीकरी क्षेत्र निवासी विवाहिता को पति और ससुराल वाले दहेज के लिए शादी के बाद से परेशान कर रहे थे। मायके सेे अतिरिक्त दहेज लाने की मांग को लेकर आए दिन उसका शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करते। यह सब जब विवाहिता के बर्दाश्त के बाहर हो गया। उसने पति और ससुराल वालों के खिलाफ पुलिस की शरण ली। आगरा पुलिस के परिवार परामर्श केंद्र में यह चारों मामले पहुंचे। काउंसलर ने दंपती को दो से तीन तारीख पर काउंसिलिंग के लिए बुलाया। काउंसिलिंग में पुलिस द्वारा मध्यस्थता की भूमिका निभाने के बाद दंपतियों के बीच सुलह हो गई। पुलिस ने पति को हिदायत देकर विवाहिता को उसके साथ भेजा। कई महीने नियमित रूप से फीड बैक लेने के लिए बुलाया कि पति उसे सही तरीके से रख रहा है या नहीं। विवाहिताओं द्वारा यह बताया गया कि पति के व्यवहार में काफी बदलाव आया है। अब वह पति और ससुराल वाले उसे परेशान नहीं करते हैं। पुलिस की यह कोशिश छह महीने के दौरान 200 दंपतियों के बीच सुलह करा चुकी है।
आगरा में खाकी मायके की भूमिका निभा रही है। उसकी यह पहल बेटियाें का घर बसाने में मदद कर रही है। पति और ससुराल वालों से पीड़ित विवाहिता पुलिस में शिकायत करती है। इसे परिवार परामर्श केंद्र में काउंसिलिंग के लिए भेजा जाता है। कांउसलर 85 फीसद मामलों में दंपतियों के बीच सुलह कराने में सफल रहते हैं। इसमें पुलिस पति और ससुराल वालों से यह कहकर विवाहिता काे विदा करती है कि वह बेटी को पुलिस परिवार परामर्श केंद्र से नहीं बल्कि मायके से विदा कर रही है। इसलिए उसे भविष्य में कोई दिक्कत न हो। वहीं विवाहिता को परिवार परामर्श केंद्र प्रभारी कमर सुल्ताना अपना मोबाइल नंबर देती हैं। इससे कि कोई भी दिक्कत होने पर वह सीधे उन्हें फोन कर सकती है। इससे पुलिस उसकी मदद करेगी। इससे पति और ससुराल वाले विवाहिता को दहेज आदि के लिए दोबारा परेशान नहीं करते। पुलिस सुलह करने वाले दंपती काे दो से छह महीने तक फालोअप करती है। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखती है कि विवाहिता पति और ससुराल वालों पर नाजायज दबाव बनाने का प्रयास न करे। इसलिए पति से भी फीड बैक लिया जाता है।