सुप्रीम कोर्ट में आज यानी 4 सितंबर को आर्टिकल 370 पर 15वें दिन की सुनवाई

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(www.arya-tv.com) सुप्रीम कोर्ट में आज यानी 4 सितंबर को आर्टिकल 370 पर 15वें दिन की सुनवाई है। शीर्ष कोर्ट में आर्टिकल 370 हटाए जाने के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं।

CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है। सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं।

आर्टिकल 370 को स्थाई बनाने का तर्क क्यों है?

सीनियर एडवोकेट वी गिरि ने कहा कि इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन (IoA) 27 अक्टूबर 1947 का है। इसमें युवराज कर्ण सिंह (राजा हरि सिंह के बेटे) के डेक्लेरेशन पर एक नजर डालें। युवराज के पास आर्टिकल 370 समेत पूरा संविधान था। एक बार 370 हट जाए और जम्मू-कश्मीर का एकीकरण पूरा हो जाए तो संप्रभुता का प्रतीक कानून बनाने वाली शक्ति है। कानून बनाने की शक्ति संघ और राज्य के पास है।

युवराज के पास कोई भी अवशिष्ट संप्रभुता नहीं थी। अनुच्छेद 370 को स्थाई बनाने का तर्क क्यों है? क्या कोई अधिकार प्रदान करने के लिए? स्पष्ट रूप से नहीं। तो फिर किसलिए? वह कौन सा अधिकार है, जिसके बारे में याचिकाकर्ता वास्तव में चिंतित हैं? यह तर्क नहीं दिया जा सकता कि 370(3) के तहत राष्ट्रपति की शक्ति का उपयोग नहीं किया जा सकता।आदर्श रूप से यह प्रावधान 1957 में विधानसभा के विघटन के बाद हटा दिया गया होता। ये एक अलग विषय है। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि संघवाद के इस मुद्दे पर 4 सितंबर को बात करेंगे। संविधान सभा की सिफारिश करने की शक्ति का उद्देश्य संविधान सभा के कार्यकाल को खत्म करना था, जिसे राज्य का संविधान बनने के बाद भंग कर दिया गया था। जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य बनाने के लिए विकास हो रहा है। सरकार की ओर से SG मेहता ने कोर्ट को बताया कि 2018 से 2023 की तुलना में आतंकवादी घटनाओं में 45.2% की कमी आई है और घुसपैठ में 90% की कमी आई है। पथराव जैसे कानून और व्यवस्था के मुद्दों में 97% की कमी आई है। सुरक्षाकर्मियों के हताहत होने में 65% की कमी आई है। 2018 में पथराव की घटनाएं 1,767 थीं, जो 5 साल में अब शून्य हैं। 2018 में संगठित बंद 52 थे और अब यह शून्य है।

10 जुलाई को केंद्र ने मामले में नया एफिडेविट दाखिल किया था
इस मामले को लेकर आखिरी सुनवाई 11 जुलाई को हुई थी। इससे एक दिन पहले 10 जुलाई को केंद्र ने मामले में नया एफिडेविट दाखिल किया था। केंद्र ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर 3 दशकों तक आतंकवाद झेलता रहा। इसे खत्म करने का एक ही रास्ता था आर्टिकल 370 हटाना।