(www.arya-tv.com) हाल ही में करण जौहर ने सनी देओल की फिल्म गदर 2 की सक्सेस पर खुशी जाहिर की। गदर-2 अब तक देश में 388 करोड़ का कलेक्शन कर चुकी है। मुंबई में एक्सप्रेस अड्डा इवेंट में शामिल हुए करण जौहर ने बातचीत के दौरान OTT प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते चलन और थिएटर्स पर इसके असर पर भी बात की। उन्होंने ये भी कहा कि OTT पर किसी भी स्टार की फेस वैल्यू की बजाय अब सिर्फ कंटेंट ही चलता है।
गदर-2 ने सिंगल-स्क्रीन थिएटर में जान डाल दी: करण जौहर
सिंगल-स्क्रीन थिएटर्स में गदर-2 के साथ हुई लोगों की वापसी पर करण जौहर ने कहा- गदर ने 2001 में भी कमाल किया था और अब एक बार फिर 2023 में भी गदर-2 ने सबके होश उड़ा दिए हैं। सिंगल स्क्रीन थिएटर्स में भी लोग फिल्म देखने आ रहे हैं। गदर-2 ने इनमें जान डाल दी है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान सिनेमा और थिएटर्स एक बुरे दौर से गुजर रहे थे लेकिन उन्हें पूरा यकीन था कि ऑडियंस थिएटर की तरफ वापस जरूर आएगी।
करण जौहर ने कहा- मुझे कभी नहीं लगा कि बॉलीवुड में या बॉलीवुड के कंटेंट में कोई प्रॉब्लम है। ये सिर्फ थिएटर्स के लिए एक बुरा दौर था जो गुजर गया है। हमनें इससे पहले भी बॉयकॉट बॉलीवुड जैसे ट्रेंड्स देखे हैं, लेकिन अब ऑडियंस थिएटर की तरफ लौट रही है।
लोग थिएटर में कम्युनिटी एक्सपीरियंस के लिए आ रहे हैं: करण जौहर
करण जौहर ने आगे कहा- अब ये बदलाव आ गया है कि घर पर OTT पर कंटेंट देखने वाली ऑडियंस भी थिएटर में एक कम्युनिटी के तौर पर फिल्म देखने का एक्सपीरियंस मिस कर रही है। आप पठान, गदर-2, रॉकी और रानी की प्रेम कहानी जैसी फिल्में देख लीजिए, लोग एक-दूसरे के साथ थिएटर में बैठकर फिल्म देखने, हंसने-रोने जैसे सभी इमोशंस एंजॉय कर रहे हैं। मैं ये नहीं कहूंगा कि OTT के कंटेंट में कोई बदलाव आया है। मैं सिर्फ ये कहूंगा कि लोग अब थिएटर्स जाना चाहते हैं।
राइटर्स के लिए अच्छा प्लेटफॉर्म है OTT: करण जौहर
करण जौहर ने थिएटर्स और OTT दोनों प्लेटफॉर्म्स पर बात की और कहा कि एक मीडियम दूसरे को आगे बढ़ने में मदद कर रहा है। उन्होंने कहा- जब OTT पहली बार हमारे बीच आया तो लोगों ने कहा कि ये मीडियम सिनेमा को खत्म कर देगा, लोग थिएटर्स जाना छोड़ देंगे। मैं ऐसा नहीं मानता। मेरा मानना है कि दोनों मीडियम एक-दूसरे को आगे बढ़ा रहे हैं।
करण जौहर ने कहा- मुझे लगता है स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म राइटर्स के लिए बेहतरीन प्लेटफॉर्म है। सिनेमा में ये राइटर्स ही हमारी मदद करते हैं। सीरीज का फॉर्मेट फिल्मों के फॉर्मेट से बहुत अलग होता है। सीरीज में हम कैरेक्टर्स पर ज्यादा काम करते हैं। सीरीज में हमारे पास 8 एपिसोड जितना लंबा स्क्रीन-टाइम होता है। ये देखने में भी अच्छा लगता है, कहानी समझ में आती है।