कानपुर।(www.arya-tv.com) जन्म के समय नवजात का रोना जरूरी है। विलंब से रोने पर नवजात के मस्तिष्क में रक्त संचार नहीं होने से ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
इससे आंखों की ऑप्टिक नर्व डैमेज होने से रोशनी चली जाती है। ऐसे नवजात की अंधता दूर करने का इलाज जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष ने ढूंढ निकाला है। दो साल अध्ययन में एक बच्चे की अंधता दूर करने में कामयाब हुएए जबकि तीन में उत्साहजनक परिणाम मिले हैं।
जन्म के समय न रोने वाले नवजात को उलटा लटकाकर पीठ पर थपकी देकर रुलाया जाता है। न रोने से रक्त संचार बाधित होता है और ब्रेन में खून न पहुंचने से बच्चे दम तोड़ देते हैं। जो बच जाते हैं उनके मस्तिष्क को ऑक्सीजन न मिलने से ब्रेन इंजरी हो जाती है। इससे आंखों की रोशनी चली जाती है। जन्म के तीन.चार माह बाद जब वह देख नहीं पाते हैैं तो समस्या पता चलती है।
जन्म से अंधता की समस्या वाले चार बच्चे मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल के नेत्ररोग विभाग में इलाज के लिए वर्ष 2017.18 के बीच आए। उसमें तीन नवजात शहर के जबकि एक फतेहपुर जिले का है। दो नवजात बालरोग अस्पताल से सीधे आएए जबकि दो शहर के बड़े निजी अस्पताल से यहां रेफर होकर आए हैं।
नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रोण् परवेज खान ने बताया कि इन बच्चों में आंख से ब्रेन को जाने वाली ऑप्टिक नर्व में खून का संचार न होने से अंधता आई। ऑप्टिक नर्व की स्थिति जानने को विजुअल इवोक पोटेंशियल ;वीईपीद्ध टेस्ट कराया। इसकी जांच रिपोर्ट में नर्व की एक्टिविटी शून्य मिली। ऐसे में नर्व में रक्त संचार बढ़ाने के लिए विशेष प्रकार की दवा चलाने का निर्णय लिया। छह.छह माह के अंतराल में जांच कराईए जिसके बेहतर परिणाम मिले।