Lucknow. उत्तर प्रदेश पुलिस की कारगुजारी के चलते योगी सरकार को लगातार बदनामी का सामना करना पड़ रहा है। फिर चाहे कानपुर की घटना हो या फिर काकोरी की। एक तरफ कानपुर में जहां अपहरण के 30 लाख देने के बाद भी युवक को मार दिया गया। वहीं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गुरुवार को एक ऐसा मामला आया जिसने राजधानी पुलिस और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों और कर्मचारियों को सवालों के घेरे में डाल दिया है।
अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में बाहुबली पुलिस और अधिकारियों से गठजोड़ करने वाले घूमते रहेंगे। मामला राजधानी लखनऊ के काकोरी थाना क्षेत्र का है जहां सरकारी जमीन पर अधिग्रहण को लेकर आवाज उठाने वाले पुजारी को इतना प्रताड़ित किया गया युवा आत्महत्या करने को मजबूर हो गया। पुलिस और इस सिस्टम की खामियों के चलते उसने आत्महत्या कर ली। दरअसल का कुरुक्षेत्र में एक शंकर जी के मंदिर पर प्रधान पति द्वारा जबरन शौचालय निर्माण कराया जा रहा था जिसका पुजारी ने विरोध किया और कहा कि वह मंदिर के बिल्कुल बगल में शौचालय निर्माण ना करा कर दूसरी जगह करा दें लेकिन सत्ता के मद में चूर प्रधान पति ने पुजारी की एक न मानी परेशान पुजारी ने पुलिस प्रशासन से गुहार लगाई जब उसकी गुहार किसी ने नहीं सुनी तो उसने आत्महत्या कर ली इसके साथ ही उसने सुसाइड नोट भी छोड़ा इसमें 5 लोगों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया अब उन लोगों पर कार्रवाई करने के बजाय पुलिस फिर लीपापोती कर रही है।
काकोरी के बड़ा गाँव में पुजारी की मौत पर काकोरी पुलिस व प्रशासन लीपापोती कर रहा है। मृतक पुजारी भगवान दीन के घर वालों ने भगवान दीन का शव रखकर अन्तिम संस्कार न करने का फैसला किया है। परिवारी जनों का कहना है कि जब तक प्रशासन दोषी ग्राम प्रधान पति देशराज यादव व दोषी अधिकारी बीडीओ एडीओ लेखपाल व दरोगा के खिलाफ मुकदमा नहीं दर्ज कर लेता तब तक वे अन्तिम संस्कार नहीं करेंगे।
