कबीर के राम विषयक संगोष्ठी का किया जाएगा संपादन :हिंदी साहित्य तीर्थ की परिकल्पना

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(www.arya-tv.com) 4 अक्टूबर 2023 को आचार्य प्रवर पंडित रामचंद्र शुक्ल का जन्मदिन है। इनका साहित्य के मूल्यांकन में अपूर्व योगदान रहा है। पौराणिक राम जानकी मार्ग पर स्थित अगौना ग्राम शुक्ल जी की जन्मभूमि है। आचार्य शुक्ल ने साहित्य के मूल्यांकन के लिए लोकमंगल का मानदंड दिया है। यह लोकमंगल का सिद्धांत मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के चरित्र और रामचरितमानस पर आधारित है।आचार्य शुक्ल ने श्रेष्ठ साहित्य में ‘विरुद्धों के सामंजस्य’ की अवधारणा का भी प्रतिपादन किया है।
आचार्य शुक्ल के जन्म-स्थान अगौना से 75 किलोमीटर पूर्व में निर्गुण संप्रदाय, ज्ञान मार्ग की धारा के सबसे शीर्ष कवि संत कबीर का निर्वाण स्थल मगहर स्थित है। साहित्य की काशी। जीवन के संपूर्ण मार्गों का हरण कर लेने वाला स्थान मग-हर। पुराने नकारात्मक अर्थ को त्याग कर काशी से आकर कबीर ने इस स्थान को एक नया अर्थ देते हुए मोक्ष प्रदाता भूमि के रूप में स्थापित किया है। यह साहित्य का निर्गुण धाम है, साहित्य का ज्ञानपीठ है।
03 अक्टूबर की रात मगहर में हिंदी साहित्य के आचार्यों, शोधार्थियों, साहित्यकारों द्वारा निवास करते हुए 04 अक्टूबर 2023 को प्रातः कबीर के राम विषयक संगोष्ठी का संपादन किया जाएगा। इसके बाद वाहनों से यात्रा प्रारंभ करते हुए बस्ती से कलवारी मार्ग से अगौना ग्राम 11:00 पूर्वाह्न आया जाएगा। जहां पर ‘साहित्य और लोक मंगल’ विषयक संगोष्ठी संपन्न होगी। ग्राम अगौना, राम जानकी मार्ग पर आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुस्तकालय में
11:00 बजे से 2:00 के मध्य संपन्न किया जाएगा। तदुपरांत 3:00 अपराह्न छावनी, कटरा ,नवाबगंज ,दुर्जनपुर घाट से तरबगंज, परसपुर होते हुए “सकल पापनासक तिमुहानी” पर तुलसी के राम विषयक संगोष्ठी संपन्न होगी। अगौना साहित्य का लोकमंगल धाम है; साहित्य की समन्वय पीठ है।
वहीं पर गोंडा जनपद में स्थित तिमुहानी संगम सकल पाप नाशक पवित्र स्थान है। जहां पर कल्पवास किया जाता है। यह स्थान गोस्वामी तुलसीदास के जन्मभूमि के अति निकट है और उनकी गुरु भूमि भी है। साहित्य का सगुण धाम है।
यह तीनों स्थान अयोध्या के उत्तर दिशा में सरयू के समानांतर पूरब और पश्चिम में डेढ़ सौ किलोमीटर में फैला हुआ है। कबीर, रामचंद्र शुक्ल और तुलसी, इस त्रयी को साधने पर साहित्य की संपूर्ण अभिव्यक्ति हो जाती है। साहित्य का संपूर्ण प्रतिनिधित्व इससे साकार हो जाता है। पौराणिक राम जानकी मार्ग एवं 84 कोस परिक्रमा मार्ग पर ही इस यात्रा का 75% हिस्सा अवधारित है।
कबीर से तुलसी वाया रामचंद्र शुक्ल, मगहर से तिमुहानी वाया अगौना, निर्गुण पीठ से सगुण पीठ वाया समन्वय पीठ/ लोकमंगल पीठ की यह यात्रा साहित्य तीर्थ का स्वरूप लेगी।
हिंदी साहित्य का अपना कोई भूगोल नहीं था। इस साहित्यिक यात्रा से हिंदी साहित्य को अपना प्रामाणिक भूगोल मिल जाएगा। संत कबीर नगर, बस्ती और गोंडा के मध्य स्थित डेढ़ सौ किलोमीटर का यह पथ
लोकमंगल पथ या राम- राम- पथ कहा जाएगा।
कबीर के……………………राम
रामचंद्र शुक्ल के नाम में…. राम
तुलसी के…………………..राम
इस परिकल्पना का शाश्वत स्वरूप बिना सहृदयों के आशीर्वाद के असंभव है। धर्म एवं आध्यात्मिक मोक्ष मार्ग के समानांतर साहित्य के इस शाश्वत मुक्ति मार्ग/ मुक्तिपथ का मानव जीवन में सन्निवेश बहुत आवश्यक हो गया है।
साहित्य का आरंभ प्रभु श्रीराम के पावन चरित्र के साथ आदि वाल्मीकि के द्वारा प्रारंभ किया गया था जो विभिन्न कालों में अलग-अलग रूपों में आज भी निरंतर गतिमान है।