(www.arya-tv.com) नेट के युग में सोशल मीडिया से लोकप्रिय युवा संन्यासी स्वामी राम शंकर उर्फ डिजिटल बाबा मां नर्मदा परिक्रमा पर निकले है। 4 नवम्बर को देव उठनी एकादशी के दिन से ओंकारेश्वर में गोमुख घाट पर पूजन पाठ के साथ उनकी नर्मदा परिक्रमा शुरू हुई। डिजिटल बाबा ने परिक्रमा के पहले दिन 15 किलोमीटर की यात्रा की। श्रीओम आश्रम मां नर्मदा तट खेड़ी घाट मोटक्का में रात्रि विश्राम किया।
यात्रा की शुरुआत से पहले बाबा ने ओंकार ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से ट्वीट के जरिए ओंकारेश्वर मंदिर के रखरखाव ठीक करने का प्रबंध करने की मांग की। उन्होंने लिखा ओमकारेश्वर मंदिर के रखरखाव कपिल ठीक करने की कृपा करें हमें विश्वास है कि आपके के सोशल मीडिया के सिपाही आपके संज्ञान में इस विषय को लाएंगे।
बताते चलें कि स्वामी राम शंकर ऐसे युवा संन्यासी है जो युवा वर्ग को आध्यात्म भारतीय संस्कृति के विषय में लगातार सोशल मीडिया के जरिए जागरूक करते रहते हैं, युवा वर्ग को जीवन में अध्यात्म के महत्व को समझाते रहते हैं। डिजिटल बाबा को लोकप्रिय सोशल मीडिया फेसबुक पर उनके पेज पर देश और दुनिया भर से डेढ़ लाख फॉलो करते हैं। माता नर्मदा की परिक्रमा के सम्बन्ध में डिजिटल बाबा ने बताया कि मां नर्मदा की परिक्रमा मेरे जीवन का नितांत निजी अनुभव का विषय है इसे सोशल मीडिया के जरिए लोगों के मध्य दिखाने का उद्देश्य परिक्रमा के महत्व को समाज के युवा पीढ़ी तक पहुंचाना है ताकि प्रेरित होकर अधिक से अधिक संख्या में युवा माँ नर्मदा परिक्रमा में शामिल हों।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पले-बढ़े डिजिटल बाबा गोरखपुर स्थित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से बीकॉम अन्तिम वर्ष की पढाई करने के दौरान ही घर-परिवार, संसार को छोड़कर आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर हो गए तथा वर्ष 2008 में 11 नवंबर को अयोध्या के लोमश ऋषि आश्रम के महंत स्वामी शिवचरण दास महाराज से दीक्षा प्राप्त कर वैरागी परम्परा के भक्ति मार्ग में अपना जीवन समर्पित कर दिए। उस युवा को आज हम डिजिटल बाबा के नाम से जानते हैं। डिजिटल बाबा स्वामी राम शंकर बताते है कि करीब 5 माह गुरु आश्रम में रहने के बाद हमने अनुभव किया कि हम आश्रम के जिम्मेदारियों में उलझते जा रहे है।
अभिनेता बनने का था सपना, बैजनाथ धाम में है कुटिया
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में स्थित खजुरी भट्ट गांव में 1 नवम्बर 1987 को डिजिटल बाबा का जन्म हुआ। विद्यार्थी जीवन में आप रामप्रकाश भट्ट नाम से जाने जाते थे, आप 9-10 वीं, 11-12वीं में NCC कैडेट रहे, अध्ययन के दौरान रंगकर्म में सक्रीय रहे। सपनों की बात करे तो डिजिटल बाबा एक सफल अभिनेता बनना चाहते थे। स्वामी राम शंकर कहते है, हमारा मूल किरदार क्या होगा ये हम तय नहीं करते। ये हमारे पूर्वकृत कर्म- कर्मफल प्रारब्ध से तय हो जाता है। सच कहूं तो आज भी अभिनय ही कर रहा हूं और इस विश्वास के साथ एक दिन हम इस संन्यास को अपने जीवन में आत्मसात कर, एक सच्चा संन्यासी, भगवान का उत्तम, सामाज का भला करने वाला एक बेहतर मनुष्य बन जाऊंगा। स्वामी राम शंकर की हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के बैजनाथ धाम में एक प्यारी सी कुटिया है। जिसमें एक अतिथि कक्ष, एक खुद के निवास हेतु कक्ष एवं एक पाठशाला कक्ष है। स्वामी राम शंकर कहते है जो सचमुच हिमालय में रह कर साधना करना चाहे ऐसे साधक जन कुटियां में 7 दिन रह सकते हैं। रहने के दौरान बर्तन माजने से भोजन पकाने तक के सारे कार्य में अतिथि साधक को अनिवार्य रूप से अपना योगदान देना होता है। यहां रहना हर तरह से निःशुल्क हैं।