(www.arya-tv.com) शिमला. हिमाचल प्रदेश में इस बार मॉनसून सीजन (Monsoon) में भारी नुकसान हुआ है. मॉनसून प्रदेश से विदा हो चुका है, लेकिन अब तक इसका असर देखने को मिला है. सूबे के लाहौल स्पीति के दर्जनों गांव में सकंट है. इन गांवों में जमीन धंस रही है और बड़ी संख्या में घरों में दरारें आ गई हैं. लाहौल के इन गांवों में जोशीमठ (Joshimath) जैसे हालात हो गए हैं.
सोमवार को लाहौल स्पीति के लिंडूर गांव में एक मकान की दीवार गिर गई. दीवार गिरने से अफरातफरी मच गई और परिवार के लोग जान बचाने के लिए घर से बाहर भागे.
जानकारी के अनुसार, लिंडूर गांव के राम सिंह पुत्र सोनम छेरिंग के दो मंजिला भवन के एक कमरे की दीवार गिर गई है. इसी तरह गांव में करीब सात-आठ मकानों में दरारें आई हैं. गांव के नीचे से लगातार भूस्खलन हो रहा है और जमीन की दरारें आ रही हैं. बताया जा रहा है कि गांव में 15 घरों में से सात-आठ मकानों में दरारें पड़ी हैं. गांव के बीच का रास्ता भी दरारें पड़ने से फट गया है.
सीएम को लिखा पत्र
गांव के वार्ड सदस्य ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को इस संबंध में पत्र लिखा है. उन्होंने लिखा कि गांव के साथ नीचे लगते नाले में भूस्खलन और जमीन कटाव के चलते लगातार घरों में दरारें आ रही हैं. इस कारण लिंडूर, जोबरंग, जालहमा, जुंडा, जसरथ सहित अन्य गांवों को खतरा मंडरा रहा है.उन्होंने सीएम से मांग की है कि गांव में ग्लेशियर और जियोलॉजिकल एक्सपर्ट को भेजा जाए.
दो माह पहले आने लगी थी दरारें
गौरतलब है कि जुलाई और अगस्त में बाढ़ के कारण यहां पर कई बीघा जमीन जाहलमा नाले की भेंट चढ़ गई थी. इसके बाद यहां पर स्थानीय विधायक रवि ठाकुर ने भी दौरा किया था और अफसरों को जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए थे. लेकिन अब तक कोई राहत नहीं मिली है. अब घरों में दरारें आ जाने से लिंडूर गांव के लोग मुश्किल में हैं और खौफ में जी रहे हैं. मंगलवार को लिंडूर गांव के अरुण कुमार पंचायत प्रधान सरिता के साथ अपने घर के नुकसान को लेकर एसडीएम केलांग से मिले. घर की दीवार गिरने को लेकर पत्र दिया गया. गोहरमा पंचायत की प्रधान सरिता ने प्रशासन और सरकार से आग्रह किया है कि लिंडूर गांव को बचाने के लिए जल्द ठोस कदम उठाया जाएं. बीते पांच अगस्त को लाहौल स्पीति के विधायक रवि ठाकुर ने भी गांव का दौरा किया था और जरूरी दिशनिर्देश दिए थे.
हीरो ऑफ कंचनजंगा का गांव खतरे में
बता दें कि देश की सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को विश्व में सबसे पहले फतह करने वाले दिवंगत कर्नल प्रेम चंद का यह पैतृक गांव है. उन्हें हीरो ऑफ कंचनजंगा के नाम से जाना जाता है. पहाड़ों को नापने की उनकी हिम्मत और जुनून को देखते हुए भारतीय सेना ने कर्नल प्रेम को स्नो टाइगर के नाम से अलंकृत किया था. वह, इसी गांव में पले और बढ़े थे.