कोई तो बचा लो! ऐसे लुटता रहा देश तो हम बर्बाद हो जाएंगे

## Lucknow UP
Suyash Mishra
Suyash Mishra

लखनऊ(जल निगम)। अजी छोड़ो! किसे फुर्सत है देश की। रहे या न रहे बस अपनी गाड़ी ऐसे ही चलती रहे। वो जमाना और था जब आजादी के दीवाने हंसते हंसते अपनी जान लुटा दिया करते थे। फांसी के फंदों पर लटकते हुए ऐसे मुस्कुराते थे जैसे सावन के महीने में झूला झूलते वक्त बच्चे खिलखिला उठते हैं। अब न तो वैसे लोग हैं और न ही वैसी देशभक्ति। कोई बेसुमार दौलत कमाने में लगा है, कोई बेतहाशा शोहरत चाहता है। हर कोई भाग रहा है। भागमभाग के इस दौर में हम इतने स्वार्थी हो गए हैं कि अपने घर तक सिमट कर रह गए। अब हमें वतन परस्ती और देशभक्ति की फुर्सत ही कहां।

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अगर आज के दौर में अंग्रेज होते तो शायद हम आजाद भारत का सपना ही देखते रहते। फेसबुक, ह्वाट्सएप और ट्वीटर समेत सोशल मीडिया के इस दौर में हर कोई ट्वीट करके अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा देता या फिर उसे लाइक शेयर व कमेंट करके सच्चे देशभक्त दिखने का कॉलम पूरा कर लेता। खैर! आज हम शौभाग्यशाली हैं कि देश आजाद है। पर क्या आपके दिल में यह सवाल हमेशा नहीं उफनाता कि आप कितने स्वार्थी हैं? आपमें वो देशभक्ति क्यों नहीं है? क्या आप सही को सही और गलत को गलत बोलने की हिम्मत रखते हैं? क्या आप भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं? अगर हां तो आज से आप देशभक्तों की कतार में शामिल हो जाइए और जहां भी भ्रष्टाचार हो रहा हो आवाज उठाइए। अगर नहीं तो फिर फिजूल की देशभक्ति का ड्रामा बंद कीजिए।

देश बदल रहा है। लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था। आप खुद से सवाल कीजिए और जवाब खोजिए कि आपके आस पास क्या बदला। क्या भ्रष्टाचार खत्म हुआ? क्या जिम्मेदारों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय हुई? जवाब आपको मिल जाएगा। प्रदेश में वादे रामराज्य के हो रहे हैं, लेकिन राम राज्य में राम की सम्मपत्ति के दोहन पर सब मौन हैं क्यों?

अभी ऊपर आप जो लंतरानी पढ़ रहे थे वह शायद इस खबर पर सटीक न बैठे, लेकिन उसका सरोकार हर खबर से है। क्योंकि बात जिम्मेदारी और जवाबदेही की है। यह मामला देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का है। साल 2007 में उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार बनी तो राजधानी में सीवर लाइन बिछाने की योजना तैयार हुई। जल निगम का काम होता है सीवर और पानी की लाइन बिछाने का। 2011—12 में कुछ मुख्य मार्ग खुदे और सीवर पड़नी शुरू हुई तभी सरकार बदल गई और यूपी की कमान नवोदित हांथों में चली गई। यानी अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए और यह योजना उनके शासनकाल में आगे बड़ी 5 साल उन्होंने राज किया, लेकिन राजधानी में पूर्णतय: सीवर का काम खत्म नहीं हो सका। साल 2017 में फिर सरकार बदल गई और उत्तर प्रदेश की कमान योगी आदित्यनाथ को सौंपी गई। पर सीवर का काम खत्म नहीं हो सका। सबसे पहले सीवर टैंक बनने के लिए राजधानी की सड़कें खोदी गईं। यह काम हो गया और कुछ साल बाद पाइप डाले गए और फिर सड़कें खोदी गईं, लेकिन घरों के शौचालयों के सीवर लाइन से कनेक्शन नहीं हो सके। आज एक बार फिर राजधानी में सरकार का सरकारी काम शुरू हुआ है और फिर से बनी बनाई सड़कों पर कुल्हाड़ियां चल रही हैं। टाइल्स, डामर रोड आरसीसी आदि को फिर से खोदा जा रहा है। कहा जा रहा है कि अब घरों से शौचालयों को जोड़ने का काम हो रहा है।

आप समझिए कि एक सीवर लाइन बिछाने में तीन तीन सरकारें बदल रही हैं। तीन तीन बार सड़कों को नष्ट किया जा रहा है। सरकारी धन का ऐसे दोहन हो रहा है और हर कोई मौन है। एक विभाग दूसरे विभाग पर ठीकरा फोड़ रहा है। आखिर विभागों में आपसी सामंजस्व की कमी क्यों है। तीन तीन बार सड़कों को नष्ट किया गया इसकी जवाबदेही किसकी होगी। क्या मौजूदा सरकार इसके लिए कोई कदम उठाएगी। या सिर्फ गड्ढा मुक्त प्रदेश देने का वादा ही करेगी। अगर ऐसे ही सड़कों को बार बार खोदा जाता रहा तो क्या कभी भी गड्ढा मुक्त प्रदेश बन पाएगा।

सरकार के करोड़ों रुपए का दोहन मेन स्ट्रीम मीडिया के लिए बड़ा मुद्दा नहीं है, क्योंकि लूट तो अन्य जगहों पर अरबों में हो रही है। पर क्या सरकार संजीदा है। कहीं ऐसा न हो कि सीवर कनेक्शन के बाद किसी और नाम पर सड़कों को खोद दिया जाए।

क्या कहा चीफ इंजीनियर संजय कुमार सिंह ने
सीवर लाइन से घरों को जोड़ने का आदेश है। उसके लिए सीवर लाइन भी डालनी है। जो सड़कें खोदी जा रही हैं उन्हें बनाया भी जाएगा। जल निगम की पूरी जिम्मेदारी है। जो ठेकेदार सड़क खोद रहे हैं वहीं निर्माण भी करेंगे। हमारी कोशिश है कि हम सबसे पहले वहां काम कर लें जहां सड़कों का निर्माण अभी नहीं हुआ है।

आपसी तालमेल की कमी से करोड़ों डूबे
मेन सड़क नगर निगम या फिर पीडब्ल्यू डी बनाता है। उसने बिना जल निगम को बताए निर्माण कार्य करवा दिया। जबकि पीडब्ल्यूडी और नगर निगम को पता है कि जल निगम का कार्य चल रहा है। बावजूद इसके उन्होंने बिना बताए सड़के बनवाई। सभी विभागों को मिलकर क्वार्डिनेट करना चाहिए ताकि कोई भी निर्माण कार्य होने के बाद उसे तोड़ने की नौबत न आए। नुकसान सरकार का हो रहा है। अलग अलग विभाग होने से ऐसी दिक्कत हो रही है। अगर ख्रुदी सड़के एक महीने में नहीं बनती है तो कार्यवाही होगी। जवाबदेही जल निगम की है। पहले सीवर पड़ जाना चाहिए फिर रोड बनना चाहिए।

जब योजना बनी थी तब तय हुआ था कि हाउस कनेक्शन का काम नगर निगम या जलकल करेगा। लेकिन जब नई सरकार बनी तो कहा गया कि जल निगम ही घर का कनेक्शन करेगा।