मुफलिसी में चल बसे अभिलाष:सुपरहिट गीत ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ लिखने के बदले नहीं मिला था पूरा पेमेंट

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(www.arya-tv.com)मशहूर गीतकार अभिलाष का लंबी बीमारी के बाद रविवार देर रात को मुंबई में निधन हो गया। वे लिवर कैंसर से जूझ रहे थे और आर्थिक तंगी के बीच पिछले 10 महीने से बिस्तर पर थे। अभिलाष को उनके अमर गीत ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता…’ के लिए सबसे ज्यादा पहचाना जाता है। खास बात ये है कि चार साल पहले तक उन्हें इस गीत के लिए उनका पूरा पेमेंट तक नहीं मिला था।उन्होंने इस अमर गीत को लिखने के पीछे की कहानी बताई थी। उन्होंने कहा था, ‘सन् 1985 की बात है, जब मुझे बतौर गीतकार ‘अंकुश’ फिल्म मिली थी। इसके संगीतकार कुलदीप सिंह थे और निर्माता-निर्देशक एन. चंद्रा।

मैंने 60-70 मुखड़े लिखकर दिए थे सब रिजेक्ट हो गए’

इसमें कुल 4 गाने थे, जो मुझे ही लिखने थे। मैंने दो गाने- ‘ऊपर वाला क्या मांगेगा हम से कोई हिसाब…’ और ‘आया मजा दिल दारा…’ लिखकर दिए, जो रिकॉर्ड भी हो गए। लेकिन तीसरे गाने में जब एन. चंद्रा ने प्रार्थना लिखने की बात कही, तब मैं रोजाना 3-4 मुखड़े लिखकर देता और वे उन्हें रिजेक्ट कर देते थे। ऐसा करते-करते दो-ढाई महीने तक मैंने 60-70 मुखड़े लिखकर दिए और उन्होंने सब रिजेक्ट कर दिए।

‘परेशान होकर मैंने कहा- मुझे फिल्म नहीं करनी’

अंतत: मैं परेशान हो गया, तब मैंने कहा कि मुझे फिल्म ही नहीं करनी है। मुझे छोड़ दीजिए। मैं इतना बड़ा राइटर नहीं हूं। आप किसी और से लिखा लीजिए। इतना कहकर मैं फ्लैट से बाहर निकल आया। तब मेरे पीछे-पीछे संगीतकार कुलदीप सिंह भी आ गए। उन्होंने मुझे बहुत समझाया तो मैंने कहा कि आखिर क्या करूं! आप कोई मुखड़ा सिलेक्ट ही नहीं कर रहे हैं।

‘रास्ते में कुलदीप ने समझाया तो दो शब्द मिल गए’

खैर, शाम का समय था। कुलदीप, मुझे अपनी गाड़ी में बैठाकर जुहू से चले और कांदिवली आ गए। रास्ते में समझाते हुए उन्होंने कहा- तुम तो हिम्मती हो… तुम में बड़ी शक्ति है… आखिर कमजोर क्यों पड़ रहे हो…। यह समझाने के दौरान उनके द्वारा कहे- शक्ति और कमजोर, दो शब्द मेरे दिमाग में अटक गए। तब मैंने ‘इतनी शक्ति मुझे देना दाता मन का विश्वास कमजोर हो न…’ लिखकर कुलदीप को सुनाया तो उन्होंने कहा कि बन गया मुखड़ा।