(www.arya-tv.com) फिल्म अभिनेता शाहरुख खान ने मोबाइल पर कॉल कर वसीम बरेलवी से एक शब्द बदलवाने के लिए 17 मिनट तक गुजारिश की। पहले तो वसीम बरेली इस पर तैयार नहीं हुए, लेकिन जब बार- किंग खान फोन पर गुजारश करते रहे तो वसीम बरेलवी तैयार हो गए।
जिसमें शाहरुख खान ने पूरा भरोसा दिलाया कि पहले फिल्म में आपका पूरा शेर पढ़ा जाएगा। शाहरुख खान ने यह बात ट्वीट पर भी शेयर की है।
17 मिनट तक चली दोनों में बातचीत
वसीम बरेलवी के मोबाइल पर काॅल आती है… मैं शाहरुख खान बोल रहा हूं। कॉल रिसीव करते हुए वसीम बरेलवी कहते हैं आदाब…आदाब..। आप कैसे हैं. शाहरुख खान बोलते हैं कि मैं ठीक हूं। जिसके बाद वसीम साहब कहते हैं कि खुश रहिए..।
हालचाल पूछने के बाद दोनों में आगे की बातों का सिलसिला शुरू हुआ। एक तरफ फोन पर फिल्म अभिनेता शाहरुख खान थे, तो दूसरी तरह मशहूर शायर और गीतकार वसीम बरेलवी। दोनों के बीच करीब 17 मिनट तक फोन पर बातचीत हुई। इन 17 मिनट में शाहरुख खान में कई बार गुजारिश की… कि आगामी फिल्म में गाने की शुरुआत में आपका एक शेर पढ़ना चाहते हैं। लेकिन एक शब्द के बदलाव के साथ.. इस पर वसीम बरेलवी ने कहा कि बदलाव वह भी एक शब्द.. शाहरुख बोले जी…।
लेकिन वसीम बरेलवी इस शब्द के बदलाव पर तैयार नहीं हुए। इस पर शाहरुख ने कई बार वसीम बरेलवी से गुजारिश करते हुए कहा कि यह फिल्म के लिए बहुत जरूरी है। शाहरुख ने यह भी कहा कि पहले आपका शेर पढ़ा जाएगा। उसके बाद बदलाव होगा। जिसमें शाहरुख ने कहा कि फिल्म के लिए यह बहुत जरूरी है। जिस पर वसीम बरेली ने एक शब्द बदलने की इजाजत दे दी।
जानिए प्रो. वसीम बरेलवी का मशहूर शेर
उसूलों पर जहां आंच आए टकराना जरूरी है, जो जिंदा हो तो फिर जिंदा नजर आना जरूरी है। इस शेर को अभिनेता शाहरुख खान की आने वाली फिल्म के गाने की शुरुआत में डाला गया है। बदलाव के साथ शेर इस तरह है कि… उसूलों पर जहां आंच आए टकराना जरूरी है। बंदा जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है, बंदा हो तो जिंदा हो। इसी बदलाव के लिए फिल्म निर्माता ने वसीम बरेलवी से बात की थी। लेकिन वसीम बरेलवी ने मना कर दिया था। बात नहीं बनी तो किंग खान ने वसीम बरेलवी को कॉल कर गुजारिश की।
मैं आपका बहुत बड़ा प्रशंसक
शाहरुख खान ने वसीम बरेलवी से यह भी कहा कि मैं आपका बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। आपकी शायरी सुनता रहता हूं। जिसे शेर को किंग खान अपनी फिल्म में बोलना चाहते हैं वह बेहद पसंदीदा शेर है। वसीम बरेलवी कहते हैं कि मेरे शब्दों की इज्जत रखी गई, इससे बड़ा क्या हो सकता है। वसीम बरेलवी की इजाजत मिलने के बाद शाहरुख खान ने ट्वीट करते हुए लिखा कि तहे दिल से आपका शुक्रिया।
4 दशक पहले भी इजाजत ली
वसीम बरेलवी साहब आपने हमे इस मुकम्मल शेर को इस्तेमाल करने और इसके साथ थोड़ी गुस्ताखी करने की इजाजत दी। 4 दशक पहले गजलकार जगजीत सिंह ने लंदन के एक कार्यक्रम में गजल पढ़ी। उस गजल में भी वह वसीम बरेलवी का शेर पढ़ना चाहते थे। इसके लिए भी वसीम बरेलवी से इजाजत ली।
पहले बदलाव वाली गजल पढ़ी, फिर असल गजल पढ़ी। मैं चाहता भी यही था कि वो बेवफा निकले, उसे समझने का कोई तो सिलसिला निकले। किताब ए माजी के पन्ने उलट के देख जरा, न जाने कौन सा पन्ना मुड़ा हुआ निकले। जबकि असल शेर था.. किताब ए माजी के औराक उलट के देख जरा, न जाने कौन सा सफहा मुड़ा हुआ निकले।