इस गाँव के इंसान तो क्या पशु और पक्षी भी है अंधे

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(Arya news lucknow /Kaushal)

रोशनी से दूर इस गांव की है अनोखी दुनिया

टिल्टेपक गांव की अजब की दस्ता है यहाँ  सिर्फ इंसान ही नही जानवर और पशु-पक्षियों को भी कुछ नही दिखता है .

विश्व में एक ऐसा गांव है जहाँ सब अंधे है. इसके पीछे लोगों की अलग मान्यता है लोगों का कहना है की अंधा होने के पीछे एक पेड़ है. इस पेड़ का नाम लावजुएजा बताया जाता है वही वैज्ञानिकों के इस संबंध में अलग तर्क है.

टिल्टेपक गांव की आबादी करीब 300,  है  जिन्हें रेड इंडियन कहा जाता है .

टिल्टेपक नामक में रहने वाले सभी लोग अंधे है और पक्षी भी उड़ नहीं पाते हैं क्योंकि उन्हें भी कुछ नहीं दिखता है

जब वे उडऩे की कोशिश करते हैं तो पेड़ से टकराकर गिर जाते हैं जबकि चलने वाले जानवरों की बात की जाये तो उन्हें भी कुछ न दिखने की वजह से खुद का भोजन करने के लिए परेशानी होती है .

 ये लोग जन्मजात अंधे नहीं होते हैं लेकिन जन्म लेने के कुछ समय बाद सभी को दिखाई देना बंद हो जाता है. यहां के लोग पत्थरों के बिस्तर पर सोते हैं और खाने में सेम, मक्का और मिर्च खाते हैं. इन लोगों के पास आज भी लकड़ी के बने हुए औजार है.

इस गांव के लोगों की मान्यता है कि अंधा होने के पीछे एक पेड़ लावजुएजा है. अगर कोई इस पेड़ की ओर देखता है तो अंधा हो जाता है वही वैज्ञानिकों ने जब इस पर अध्ययन किया तो उन्होंने गांव वालो के दावों को गलत बताया.

वैज्ञानिकों के अनुसार एक विषैली मक्खी के काटने के बाद लोग अंधेपन का शिकार हो जाते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार मक्खियां जब लोगों को काटती है तो इंसान अंधा हो जाता है क्योंकि इससे कीटाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और शरीर में सूजन आ जाती है इसके बाद इंसान अंधा हो जाता है.

टिल्टेपक में सड़क किनारे लगभग 70 झोपड़ियां बनी है और इनमें से किसी भी झोपडी में खिड़कियां और दरवाजे नहीं है ऐसा इसलिए क्योकि यहाँ के सभी लोग अंधे हैं और उन्हें रोशनी की जरूरत नहीं पड़ती है.

इन लोगों को सुबह होने का अंदाज़ा भी पशुओं-पक्षियों की आवाज से होता है. शाम के समय ये सभी एक जगह जमा होकर खाना खाते हैं, शराब पीते और नाचते गाते हैं.