ईरान ने ब्रिटिश नागरिक को मौत की सजा सुनाई:परफ्यूम की एक बोतल और शर्ट के बदले खुफिया जानकारी देने का आरोप

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(www.arya-tv.com) ईरान में प्रदर्शनकारियों और सरकार का विरोध करने वाले लोगों को सजा ए मौत देने का सिलसिला जारी है। अब ईरान ने एक ब्रिटिश नागरिक अलीरेजा अकबरी को मौत की सजा सुनाई गई है।

ईरान ने अलीरेजा को साल 1997 से 2005 तक रक्षा मंत्री के डिप्टी रहते हुए जासूसी करने का गुनहगार माना है। जिसके बाद 2019 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। बीबीसी के मुताबिक ईरान ने अलीरेजा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने परफ्यूम की एक बोतल और एक शर्ट के लिए नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की खुफिया जानकारी लीक कर दी थी।

‘अलीरेजा की सजा राजनीति से प्रेरित’
अलीरेजा की पत्नी मरियम ने बताया है कि ईरान की सरकार ने उनके परिवार को आखिरी बार उनसे मिलने को कहा है। दरअसल अलीरेजा ने कुछ सालों पहले ही ब्रिटेन की नागरिकता ले ली थी। इसके चलते इंगलैंड ने उनकी तुरंत रिहाई की मांग की है। ब्रिटेन के फॉरेन सेक्रेटरी जेम्स क्लीवर्ली ने ट्वीट कर लिखा है कि अली रेजा को मौत की सजा देना राजनीति से प्रेरित है।

बातचीत के बहाने ईरान बुलाकर कैद किया
बीबीसी को अलीरेजा अकबरी का एक ऑडियो मिला है। इस ऑडियो में वो बता रहे हैं कि कुछ साल से वो ईरान के बाहर रह रहे थे। 2019 में उन्हें एक ईरान के डिप्लोमेट ने बातचीत के लिए बुलाया था। जब अलीरेजा वहां पहुंचे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनका आरोप है कि 3500 घंटों से इंटेलिजेंस एजेंट उन्हें टॉर्चर कर रहे हैं।

ऑडियो में अलीरेजा ने बताया है कि ईरान 10 कैमरे लगाकर हॉलीवुड स्टाइल में उनसे गुनाह कबूल करवा रहा है। अलीरेजा ने कहा, टॉर्चर कर और साइकोलॉजिकल तरीकों से ये लोग मेरी हिम्मत तोड़ रहे हैं। ये मुझे पागल कर रहे हैं और वो सब बुलवा रहे हैं जो ये चाहते हैं।

अलीरेजा ने सीक्रेट इंटेलिजेंस सर्विस M16 को दी जानकारी
ईरान की इंटेलिजेंस मिनिस्ट्री ने अलीरेजा अकबरी का देश के सबसे बड़े घुसपैठियों में से एक बताया है। उन पर आरोप लगाया है कि वो ब्रिटेन की सीक्रेट इंटेलिजेंस सर्विस M16 को खुफिया जानकारी दे रहे थे। इंटेलिजेंस मिनिस्ट्री ने बताया कि उनके एजेंट्स ने झूठी जानकारी देने के लालच में अलीरेजा को फंसाया और फिर पकड़ लिया।

7 जनवरी को भी दी थी दो लोगों को मौत की सजा
ईरान की मिजान न्यूज एजेंसी के मुताबिक, मोहम्मद माहदी करामी और सैयद मोहम्मद होसैनी नाम के दो युवकों को 7 जनवरी की सुबह फांसी दी गई थी। इन दोनों पर पैरामिलिट्री फोर्स के जवान को जान से मारने का आरोप था। कोर्ट ने इन्हें दिसंबर में मौत की सजा सुनाई थी। 3 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इनकी सजा को बरकरार रखा था।