‘द ग्रेट चमार’ का बोर्ड लगाकर पॉलिटिक्स में आए चंद्रशेखर

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(www.arya-tv.com) सहारनपुर का एक छोटा गांव है धडकौली। यहां दाखिल होते ही नीले रंग का एक बोर्ड नजर आता है। जिस पर लिखा है ‘द ग्रेट चमार’। इस बोर्ड को लगाने वाले युवा का नाम है चंद्रशेखर। इनकी पहचान दलित नेता की है। विधानसभा चुनाव 2022 में चंद्रशेखर ने सीएम योगी के खिलाफ गोरखपुर से चुनाव लड़ा था।

फरवरी 2021 में, टाइम पत्रिका ने चंद्रशेखर को 100 उभरते नेताओं की अपनी वार्षिक सूची में शामिल किया था। कृषि कानून हो या महिला पहलवान का धरना-प्रदर्शन। चंद्रशेखर BJP सरकार के खिलाफ मुखर रहे। 28 जून 2023 को चंद्रशेखर पर देवबंद में हमला हुआ, जिसके बाद से वह एक बार फिर सुर्खियों में हैं।

अमेरिका जाकर करना चाहते थे पढ़ाई
चंद्रशेखर का जन्‍म 3 दिसंबर 1986 में सहारनपुर स्थित घडकौली गांव में हुआ था। पिता गोवर्धन दास सरकारी स्‍कूल में शिक्षक थे। मां कमलेश देवी गृहणी थीं। चंद्रशेखर आजाद पांच भाई-बहन हैं। उन्होंने देहरादून से लॉ की पढ़ाई की। आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका जाना चाहते थे। लेकिन सहारनपुर के एक अस्‍पताल में पिता के इलाज के दौरान दलितों पर हुए अत्‍याचार को देखते हुए वह समाजसेवी बन गए।

साल 2011 में चंद्रशेखर ने भीम आर्मी एकता मिशन नाम से संगठन बनाया। चंद्रशेखर का दावा है कि मौजूदा समय में 40 हजार से ज्यादा लोग आर्मी एकता मिशन के सदस्य हैं। इसके बाद चंद्रशेखर ने आजाद समाज पार्टी का गठन किया। यूपी में विधानसभा चुनाव 2022 और निकाय चुनाव 2023 इसी पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं।

गांव के बाहर लगाया था दा ग्रेट चमार का बोर्ड
चंद्रशेखर ने अपने गांव घडकौली के सामने ‘द ग्रेट चमार’ का बोर्ड लगाने पर कहते हैं, “इलाके में वाहनों तक पर जाति के नाम लिखे होते हैं। उन्हें दूर से पहचाना जा सकता है। जैसे द ग्रेट राजपूत, राजपूताना। इसलिए हमने भी ‘द ग्रेट चमार’ का बोर्ड लगाया। इसे लेकर विवाद हुआ, लेकिन आज भी बोर्ड मौजूद है।”

जेल से लौटने पर खोला स्कूल
2011 में भीम आर्मी भारत एकता मिशन का गठन किया गया था, जिसके वह संस्थापक हैं। मई 2017 में जब शब्बीरपुर गांव में जातीय हिंसा हुई तो भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन कर सुर्खियां बटोरीं थीं।

जेल से रिहा होने के बाद चंद्रशेखर ने मिशन जारी रखा और दलितों के खिलाफ होने वाले मामलों में कार्रवाई की मांग उठाते रहे। भीम आर्मी ने दलित समुदाय की शिक्षा को लेकर भी प्रयास किए। गांव भादो में इस संगठन ने पहला स्कूल भी खोला था। जबकि अन्य जिलों में भीम आर्मी की टीम द्वारा स्कूलों में किताबों का वितरण कराया गया।