भारत ने रेल आधारित मोबाइल लॉन्चर प्रणाली से मध्यम दूरी की अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया है। अगली पीढ़ी की यह मिसाइल 2 हजार किमी तक की मारक क्षमता के लिए डिज़ाइन की गई है और कई उन्नत सुविधाओं से लैस है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरूवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए रेल आधारित मोबाइल लॉन्चर से किया गया अपनी तरह का यह पहला प्रक्षेपण बिना किसी अतिरिक्त प्रणाली के रेल नेटवर्क पर कार्य करने की क्षमता रखता है।
अपनी तरह का पहला टेस्ट
बता दें कि परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर परीक्षण केंद्र से किया गया। परीक्षण के दौरान क्रूज़ मिसाइल अपने लक्ष्य को भेदने में सफल रही। LRLACM लंबी दूरी पर स्थित ज़मीनी लक्ष्यों पर सटीक प्रहार करने की क्षमता के लिए डिज़ाइन किया गया है। मिसाइल के प्रदर्शन की निगरानी रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम (EOTS) और टेलीमेट्री जैसे बहु-रेंज सेंसरों द्वारा की गई, जिन्हें ITR द्वारा विभिन्न स्थानों पर तैनात किया गया था ताकि उड़ान पथ की पूरी कवरेज सुनिश्चित की जा सके। यह परीक्षण देश की रक्षा तैयारियों को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन की गई एक स्वदेशी मिसाइल प्रणाली के विकास में एक मील का पत्थर है।
ह एक एंटी-शिप बैलिस्टिक क्रूज़ मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 1000 किलोमीटर है। यानी यह मिसाइल 1,000 किलोमीटर से ज़्यादा दूरी पर चल रहे युद्धपोतों या विमानवाहक पोतों को मार गिराने में सक्षम होगी। यानी यह मिसाइल हिंद महासागर से लेकर अरब सागर और चीन से लेकर पाकिस्तान तक के लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। इस एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल को युद्धपोतों और तटीय स्थानों, दोनों से दागा जा सकता है। बताया कि यह मिसाइल प्रणाली भारतीय नौसेना के लिए विकसित की जा रही है और यह उसे लंबी दूरी से दुश्मन के जहाजों को नष्ट करने की क्षमता प्रदान करेगी।
इससे देश भर में कहीं भी और कम दृश्यता के साथ कम समय में प्रक्षेपण की सुविधा मिलती है। मध्यम दूरी की अग्नि-प्राइम मिसाइल के सफल परीक्षण पर राजनाथ सिंह ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, सामरिक बल कमान और सशस्त्र बलों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इस सफल उड़ान परीक्षण ने भारत को उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल कर दिया है जिनके पास चलते-फिरते रेल नेटवर्क से कैनिस्टराइज्ड प्रक्षेपण प्रणाली विकसित करने की क्षमता है।