(www.arya-tv.com)पेट्रोल की कीमत के नॉट आउट शतक और सरकार की ई-व्हीकल को लेकर प्लानिंग के चलते इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री तेजी से ऊपर आ रही है। देश की ई-व्हीकल इंडस्ट्री में निवेश भी बढ़ रहा है। ओला इलेक्ट्रिक के फाउंडर भाविश अग्रवाल भी तमिलनाडु के कृष्णागिरी में दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर फैक्ट्री लगाने की प्लानिंग को बता चुके हैं। कोविड-19 महामारी से चरमराई देश की अर्थव्यवस्था के लिए ये शुभ संकेत भी हैं।
देश की ज्यादातर ऑटोमोबाइल कंपनियों के बीच अब ई-व्हीकल बनाने की होड़ लग चुकी है। कम कीमत में ज्यादा रेंज के मिशन के साथ ये सभी काम कर रही हैं। हालांकि, तीन साल पहले तक कोई नहीं जानता था कि देश आने वाले दिनों में दुनिया का नंबर वन ई-व्हीकल हब बनाने की तरफ तेजी से बढ़ेगा।
2021 में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर के 11 मॉडल लॉन्च हुए
इस साल के शुरुआती 3 महीने में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट में 11 मॉडल लॉन्च हो चुके हैं। इनमें कई पॉपुलर कंपनियों और कुछ स्टार्टअप के मॉडल शामिल हैं। गोवा के स्टार्टअप कबीरा ने तो भारत की सबसे तेज चलने वाली ई-बाइक भी बना दी। अभी भी कई मॉडल लॉन्च होने की तैयारी में हैं। कुल मिलकर ये साल ई-व्हीकल इंडस्ट्री के लिए बेहतर रहेगा।
लिथियम-आयन बैटरी प्रोडक्शन के लिए देश तैयार
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि ई-व्हीकल में इस्तेमाल होने वाली लिथियम-आयन बैटरी की मैन्युफैक्चरिंग भारत में छह महीने के अंदर शुरू हो जाएगी। आने वाले समय में देश बैटरी से चलने वाले वाहनों के मैन्युफैक्चरिंग के मामले में पहले स्थान पर होगा। हमारे पास लीथियम की कोई कमी नहीं है।
2024-25 तक इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर में 12.8% की ग्रोथ का अनुमान
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस (FADA) द्वारा जारी पिछले 6 के आंकड़ों को देखा जाए तो ई-व्हीकल सेगमेंट सात गुना की ग्रोथ हुई है, लेकिन ये आंकड़े काफी छोटे हैं। JMK रिसर्च एंड एनालिटिक्स के मुताबिक, टू-व्हीलर मार्केट में इलेक्ट्रिक व्हीकल की हिस्सेदारी 2020-21 में बढ़कर 0.8% हो जाएगी। वहीं, 2024-25 में 12.8% ग्रोथ होने का अनुमान है। इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की डिमांड पर्सनल और बिजनेस दोनों में आने की उम्मीद है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विश्लेषकों के शोध से पता चलता है कि इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर पेट्रोल वाहनों की तुलना में 10-20% सस्ते होंगे। इसकी मुख्य वजह चीन में बड़ी फैक्ट्रियों की बदौलत लिथियम-आयन बैटरी की कीमतों में गिरावट आना है।