(www.arya-tv.com)विधानसभा चुनाव से पहले ओपिनियन मेकिंग ब्राह्मणों की नाराजगी बीजेपी नहीं लेना चाहती है। इस बिरादरी को खुश करने में जुटी बीजेपी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र ‘टेनी’ के सामने सरेंडर है। इसलिए सदन में अंदर और बाहर सियासी पारा गरमाने के बावजूद अजय मिश्र मंत्री पद पर बने हुए हैं।
जीत के समीकरण में ब्राह्मणों की भूमिका अहम
चुनाव में हार जीत के समीकरण में ब्राह्मणों की भूमिका अहम है। यूपी की कुल आबादी के 12% ब्राह्मणों का प्रभाव 115 विधानसभा सीटों पर है। सत्ता तक पहुंचाने वाले ब्राह्मण वोटर यूं तो बीजेपी का कोर वोट बैंक माना जाता है, लेकिन माफिया विकास दुबे को जिस तरह से एनकाउंटर में मारा गया था। उससे ब्राह्मणों में ठाकुरों के वर्चस्व का संदेश गया था। हालांकि, एक हकीकत ये भी है कि इस नाराजगी की शुरुआत 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद हो गई थी। जब योगी मंत्रिमंडल में ब्राह्मणों को कम तरजीह दी गई थी।
ब्राह्मण समाज में नाराजगी सामने आई बदला मिजाज
जुलाई 2020 में माफिया विकास दुबे ने 8 पुलिसकर्मियों को मार दिया था। इसके बाद हाईवे पर पुलिस की इनोवा पलटने और फिर माफिया के फरार होने की कोशिश की कहानी पब्लिक के सामने लाई गई। जिसमें विकास दुबे का कथित एनकाउंटर दिखाया गया। यही से ब्राह्मण समाज में नाराजगी सामने आई।
सिर्फ 9 ब्राह्मण प्रतिनिधियों को मंत्रिमंडल में मौका मिला
साल 2017 के चुनाव में बीजेपी के कुल 312 विधायकों में 58 ब्राह्मण समुदाय के प्रतिनिधि चुनकर आए। 80% ब्राह्मणों का वोट बीजेपी को मिला था। लेकिन सिर्फ 9 ब्राह्मण प्रतिनिधियों को मंत्रिमंडल में मौका मिला। डैमेज कंट्रोल के लिए कैबिनेट विस्तार में ब्राह्मण चेहरे बढ़ाकर 11 किए गए।
जितेंद्र सिंह बबलू के साथ उठा था विरोध
बसपा के पूर्व विधायक जितेंद्र सिंह बबलू को बीजेपी में शामिल किया गया। जबकि 2009 में ब्राह्मण चेहरा रीता बहुगुणा जोशी का घर जलाने की कोशिश के आरोप उन पर थे। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की मौजूदगी में सदस्यता समारोह हुआ। बाद में उनकी सदस्यता निरस्त की गई।
योगी सरकार में कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, बनारस, गोरखपुर मंडल में ठाकुरों का वर्चस्व बढ़ा है। सरकारी विभागों में महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती को लेकर गोरखपुर से गाजियाबाद तक ब्राह्मण और ठाकुरों के बीच खींचतान रही।
4 जुलाई 2019 को लोकसभा चुनाव के वक्त पीएम नरेंद्र मोदी ने यूपी के कार्यकर्ताओं के संबोधित किया। इस दौरान दलित, आदिवासी, पिछड़ों के सांसदों की संख्या गिनाई। लेकिन ब्राह्मणों का जिक्र तक नहीं किया था।
अपने मंत्री को बर्खास्त न करना अन्याय है
राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि धर्म की राजनीति करते हो, आज राजनीति का धर्म निभाओ। यूपी में गए ही हो, तो मारे गए किसानों के परिवारों से मिलकर आओ। अपने मंत्री को बर्खास्त न करना अन्याय है। अधर्म है !
वहीं कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया कि किसानों को आपकी खोखली बातें नहीं सुननी हैं। प्रधानमंत्री होने के नाते अपनी संवैधानिक एवं नैतिक जिम्मेदारी निभाते हुए लखीमपुर किसान नरसंहार की साजिश में गृह राज्यमंत्री की भूमिका की जांच तुरंत शुरू कराएं।