(www.arya-tv.com) कोरोना संक्रमण की रोकथाम के नाम पर जिले में फर्जीवाड़ा हो रहा है। शासन द्वारा लाखों रुपये खर्च कर कोरोना की सैंपलिंग कराई जा रही है। लेकिन जिले में सैंपलिंग के नाम पर शासन को धोखा दिया जा रहा है। प्रतिदिन दो हजार और इससे अधिक सैंपलिंग किए जाने का दावा कर रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है, लेकिन यह किसी छलावा से कम नहीं है।
जिले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रतिदिन कोरोना की जांच कराई जा रही हैं। कोराेना जांच के नोडल अधिकारी कौशल गुप्ता का दावा है कि प्रतिदिन जिला पुरुष अस्पताल समेत जिले भर के सीएचसी, पीएचसी पर जांच हो रही हैं। इसके अलावा शहर के प्रमुख स्थानों और नगर पंचायतों में टीम को भेज कर जगह जगह शिविर लगाकर जांच की जा रही है।
सैंपल कलेक्शन का खर्च
कोरोना का सैंपल कलेक्ट करने में कई प्रकार की सामग्री खर्च होती है। इसमें सबसे पहले थ्रोट स्वैब का इस्तेमाल किया जाता, जो नाक और मुंह में डाली जाती है। इसकी कीमत दो रुपये होती है। इसके बाद आरटीपीसीआर जांच के लिए इस थ्रोट स्वैब को वीटीएम में रखा जाता है, जिसकी कीमत करीब 25 रुपये होती है।
इसके बाद इस वीटीएम को लैब तक पहुंचाने के लिए आइसजैल पैक, विशेष प्रकार की पॉलीथिन, थर्माकोल का बॉक्स और बॉक्स को रखने के लिए पॉलीथिन का बड़ा पैकेट उपयोग में लाया जाता है, इन सभी की कीमत करीब 70 से 80 रुपये होती है। मतलब सैंपल कलेक्शन में तकरीबन सौ रुपये का खर्च आता है।
आरटीपीसीआर जांच में खर्च
आरटीपीसीआर जांच करने वाले एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने बताया इसकी प्रक्रिया जटिल होती है। सैंपल कलेक्शन के बाद इसका कंसाइनमेंट बनाया जाता है, जो स्वास्थ्य विभाग से लैब को भेजा जाता है। लैब में आए कंसाइनमेंट से सैंपल निकाल कर उनसे आरएनए अलग किया जाता है। यह एक वैज्ञानिक और लंबी प्रक्रिया हाेती है।
इसके बाद सैंपल को मशीन में कम से ढाई घंटे के लिए लगाया जाता है। पांच सैंपल का पूल बनाया जाता है। किसी पूल में संक्रमण की पुष्टि होने पर उस पूल के सभी सैंपल को अलग कर दोबारा ढाई घंटे के लिए मशीन में लगाते हैं। इसके बाद पॉजिटिव सैंपल की पुष्टि होती है। इस प्रक्रिया में पांच सौ रुपये तक खर्च होते हैं। जबकि पहली जांच में संक्रमण की पुष्टि न होने की दशा में यह खर्च 250 रुपये तक रह जाता है।
तीन दिन में हुई सैंपलिंग की स्थिति
तारीख आरटीपीसीआर एंटीजन कुल
13 अक्टूबर 993 954 1948
14 अक्टूबर 925 873 1798
15 अक्टूबर 436 388 824
नोट : स्वास्थ्य विभाग की ओर से शासन को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार।
कोरोना की जांच में फर्जीवाड़े की कोई जानकारी नहीं है। अगर ऐसा है तो यह गलत हो रहा है। वीडियो में दिख रहे संबंधित कर्मचारियों की जांच कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।