स्वतंत्रता आंदोलन में साहित्यकारों ने जनता की चेतना को जागृत किया- प्रो. अनुराग कुमार

Lucknow
  • स्वतंत्रता आंदोलन में साहित्यकारों ने जनता की चेतना को जागृत किया- प्रो. अनुराग कुमार

सकलडीहा पीजी कॉलेज सकलडीहा में एकदिवसीय अभिलेख प्रदर्शनी एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इतिहास के दस्तावेजों का अभिलेख के रूप में प्रदर्शित किया गया था। उसको सर्वप्रथम मुख्य अतिथि प्रो. अनुराग कुमार एवं प्राचार्य प्रो. प्रदीप कुमार पाण्डेय ने अवलोकन किया। मुख्य अतिथि प्रो. अनुराग कुमार, प्रमुख मानविकी संकाय, महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ वाराणसी ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में साहित्यकारों ने जनता की चेतना को जागृत किया। उसके लिए उन्हें बहुत संघर्ष भी करना पड़ा। विशिष्ट अतिथि डॉ. रविंद्र कुमार गौतम ने कहा कि अंग्रेजों की शोषणकारी नीतियों का पर्दाफाश साहित्यकारों ने अपनी कलम से किया। अंग्रेजों ने प्रेस की स्वतंत्रता पर पाबंदी के लिए कई कानून बनायें। मुख्यवक्ता किंगसन सिंह पटेल ने स्वतंत्रता आंदोलन में महिला लेखिकाओं की लेखनी को रेखांकित किया। मुख्य वक्ता डॉ. संतोष कुमार यादव ने कहा कि लेखक यशपाल का सबसे ज्यादा जीवन जेल में बिता। फिर साहित्य की तरफ मुड़ गए।

अंत में संगोष्ठी के अध्यक्ष प्राचार्य प्रो. प्रदीप कुमार पाण्डेय ने कहा कि भारत-भारती मैथिलीशरण गुप्त की राष्ट्रीय भावना से ओत -प्रोत रचना थी। उसी प्रकार तमिल भाषा में सुब्रमण्यम भारती भी रचना लिख रहे थे। पूरे भारत में लेखकों ने आजादी की अलख जगाई। विषय प्रवर्तन प्रो. दयाशंकर सिंह यादव ने किया। कार्यक्रम के समन्वयक शिवकुमार यादव एवं डॉ. जितेंद्र यादव रहे। कार्यक्रम के संरक्षक कुलपति प्रो. आनन्द त्यागी जी थे। प्रशासक क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. ज्ञान प्रकाश वर्मा सफल कार्यक्रम की शुभकामनाएँ दी। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. दयानिधि सिंह यादव ने किया। इस अवसर पर प्रो. इंद्रदेव सिंह,प्रो. महेंद्र प्रताप सिंह, प्रो. विजेंद्र सिंह,प्रो. शमीम राईन,डॉ. अजय कुमार यादव,डॉ. इंद्रजीत सिंह, डॉ. श्यामलाल यादव डॉ. सीता मिश्रा, डॉ. वंदना कुमारी, शोधार्थी वेदप्रकाश, सुशील विश्वकर्मा इत्यादि बड़ी संख्या में छात्र -छात्रा उपस्थित रहे।