(www.arya-tv.com) तमाम कोशिशों के बाद भी यूपी में अवैध खनन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। जिसकी वजह से राज्य सरकार के राजस्व को सैकड़ों करोड़ का घाटा उठाना पड़ रहा है। सरकार अपने बयानों में ये कहती जरूर दिखती है कि अपराधी प्रदेश छोड़कर भाग गए हैं। मगर सरकारी आंकड़ों को देखें तो ये साफ जाहिर होता है कि खनन माफिया सरकार की नाक में दम कर रखे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समीक्षा बैठकों में हर बार अधिकारियों को आदेश देते हैं कि अवैध खनन पर रोक लगाई जाए। खनन का लगातार घट रहा राजस्व बढ़ाया जाए। मगर भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग का प्रदर्शन बहुत खराब रहा है। इसका जिक्र कैग की रिपोर्ट में किया गया है।
राजस्व घटकर सिर्फ 193 करोड़ रह गया
2017-18 में प्रदेश को खनन विभाग से 1,336 करोड़ राजस्व की प्राप्ति हुई थी। जोकि 2021-22 में घटकर सिर्फ 193 करोड़ रह गई है। जिसकी मुख्य वजह अवैध खनन पकड़े जाने पर खनिज पदार्थों के असली दाम और उस पर टैक्स ना लिया जाना है। अवैध खनन के 2,412 केस पकड़े जाने पर उनसे 117.88 करोड़ रूपए की वसूली करनी थी। मगर सिर्फ 89 केस में 4.54 करोड़ रूपए ही विभाग वसूल पाया।
CAG रिपोर्ट में ये भी साफ तौर पर लिखा है कि इस संबंध में विभाग से पूछा गया था। मगर एक साल में भी खनन निदेशालय ने इसका संतोषजनक जवाब नहीं दिया। हैरत की बात ये है कि जो पट्टाधारक सरकार को रायल्टी नहीं दे रहे हैं उनसे विभाग ब्याज की वसूली भी नहीं कर पा रहा है।एक हफ्ते पहले ही खनन विभाग ने 790 नए खनन पट्टे के लिए क्षेत्र चिह्नित किए हैं। जिसमें से 601 खनन पट्टे 10 जिलों में चिह्नित किए गए हैं। जबकि 189 खनन के क्षेत्र प्रदेश के अन्य हिस्सों में चिह्नित किए गए हैं।
90 नए खनन पट्टे के लिए क्षेत्र चिह्नित किए
मिर्जापुर में 328, झांसी में 84, प्रयागराज में 36, बांदा में 34, हमीरपुर और महोबा में 26, सहारनपुर में 20, जालौन में 18, बिजनौर में 15 और गोरखपुर में 14 नए खनन के क्षेत्र खनन विभाग ने चिह्नित किए हैं। लेकिन अभी भी इन पट्टों की ई-टेंडरिंग करने में विभाग को 9 महीने लग जाएंगे। अगस्त से अक्टूबर के बीच 200, नवंबर से जनवरी के बीच 290 और फरवरी से अप्रैल के बीच 300 नए खनन के पट्टों का आवंटन ई-टेंडरिंग के जरिए किया जाएगा।