(www.arya-tv.com) सामान्य तौर पर डॉक्टर आलू से दूरी बनाने को कहता है. स्वास्थ्य को लेकर जागरूक लोग स्वत: ही आलू खाने से परहेज करते हैं. लेकिन अब एक ऐसा आलू बाजार में आने वाला है,जिसे डॉक्टर साहब भी खाने के लिए कहेंगे. इस आलू की खोज केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने की है. प्रधानमंत्री द्वारा एक दिन पूर्व पूसा में लांच की गयी 109 किस्मों में से यह भी एक है.
केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला के क्षेत्रीय केंद्र, मोदीपुरम, उत्तर प्रदेश द्वारा खोजी आलू की इस नई किस्म का नाम कुफरी जामुनिया है. इस किस्म को खोजने में करीब 9 साल लग गए. वर्ष 2015 से इसकी शुरुआत की गयी थी. नई किस्मों के लांचिंग के मौके पर प्रधानमंत्री को इस आलू को दिखाते हुए खासियत भी बताई गयी. प्रधानमंत्री ने इसकी सराहना भी थी.
ये हैं खासियत
इस आलू को खोजने वाले केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. एसके लूथरा ने न्यूज18 को बताया कि कुफरी जामुनिया बैंगनी गूदे वाली एंटी-ऑक्सीडेंट और एंथोसायनिन से भरपूर आलू की किस्म है. इसके 100 ग्राम गूदे में हाई एंटी-ऑक्सीडेंट यानी विटामिन सी (52 मिलीग्राम), एंथोसायनिन (32 मिलीग्राम), कैरोटीनॉयड (163 माइक्रोग्राम) होते हैं. इस वजह से स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है.
90 से 100 दिन की फसल
यह एक 90-100 दिन में तैयार होने वाली किस्म है और जो आकर्षक गहरे बैंगनी लंबे अंडाकार (10-12कंद प्रति पौधे ) है. इसकी पैदावार 32-35 टन प्रति हेक्टेयर है और सामान्य आलू की तुलना भंडार ज्यादा दिनों तक किया जा सकता है. इसका स्वाद सामान्य आलू की तुलना में बेहतर होता है.
इन इलाकों में होगी पैदावार
कुफरी जामुनिया को हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड (मैदानी इलाका), मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, उड़ीसा, असम, पश्चिम बंगाल और बिहार में उगाया जा सकता है. इसको पिछले महीने ही नोटिफाइड किया गया है.
आलू को विकसत करने वाली टीम
आलू की किस्म विकसित करने में डॉ. एसके लूथरा के साथ आलू अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, मोदीपुरम के साइंस्टिस्ट डा. दलामूू, जागेश कुमार तिवारी, बबीता चौधरी, वीके गुप्ता, विनोद कुमार, पिंकी रायगोंड, वंदना, अरविंद जयसवाल, ब्रजेश सिंह, जगदेव शर्मा, वीके दुआ, संजय रावल और मेही लाल शामिल रहे हैं.