बच्चों की एंट्री और वीजा पर बैन के बाद अब रिफंड… सऊदी अरब ने किया एक और बड़ा ऐलान

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सऊदी अरब सरकार ने इसे लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं, किन मामलों में हज रिजर्वेशन की राशि वापस की जा सकती है. अगर हज से पहले किसी का एक्सीडेंट हो जाता है या किसी की मृत्यु हो जाती है तो ऐसे मामलों में रिफंड कर दिया जाएगा. इस साल जून के महीने में हज यात्रा शुरू होगी, जिसमें दुनियाभर से लाखों मुसलमान हज के लिए मक्का जाते हैं.

गल्फ न्यूज के अनुसार सऊदी अरब ने कुछ मामलों में हज की राशि वापस करने की घोषणा की है. इसमें कहा गया कि अगर किसी हज यात्री की यात्रा से पहले मृत्यु हो जाती है या फिर ट्रैफिक एक्सीडेंट हो जाता है, जिसकी वजह से वह हज करने में असमर्थ है तो रिजर्वेशन का पूरा रिफंड यात्री की पत्नी को दिया जाएगा. साथ ही अगर कोई हज यात्री (महिला/पुरुष) एक्सीडेंट का शिकार हो जाते हैं, जिसके बाद उनके लिए हज पर जाना मुश्किल है तो उनको रिफंड दिया जाएगा. हालांकि, ये ऐलान सऊदी के हज यात्रियों के लिए है.

सऊदी सरकार का यह भी कहना है कि ऐसे किसी भी मामले में मेडिकल रिपोर्ट पेश करनी होगी. ये रिपोर्ट सरकारी अस्पताल की होनी चाहिए, जो अस्पताल में भर्ती होने और इस बात का प्रमाण हो कि मरीज यात्रा करने के लिए समर्थ नहीं है. अगर प्राइवेट हॉस्पिटल की रिपोर्ट है तो वह अस्पताल हेल्थ ऑथोरिटीज से सर्टिफाइड होना चाहिए और रिपोर्ट्स अरबी भाषा में होनी चाहिए.

सरकार की ओर से कहा गया है कि अगर कोई हज के लिए अपना रिजर्वेशन कैंसिल करना चाहता है तो उसको वेबसाइट पर जाकर करना होगा. वो वेबसाइट जो सऊदी सरकार ने हज यात्रा के रिजर्वेशन के लिए बनाई हैं या फिर नुसुक ऐप पर भी यह प्रक्रिया की जा सकती है, जिससे उनको रिफंड मिल जाएगा.

पिछले महीने सऊदी अरब ने यह भी कहा कि था कि डोमेस्टिक हज रिजर्वेशन में उन लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिन्होंने पहले हज नहीं किया है, लेकिन इसमें वो लोग शामिल नहीं हैं, जो पिछली यात्राओं में हज यात्रियों के साथ एस्कॉर्ट या अनुरक्षक के तौर पर गए थे. डोमेस्टिक हज रिजर्वेशन सऊदी के लोगों के लिए है. हालांकि, उनके लिए जरूरी है कि उनका नेशनल कार्ड या रेजीडेंसी परमिट इस्लामिक कैलेंडर के धुल-हिज्जा महीने की 10 तारीख तक वैलिड होना चाहिए.

हर साल धुल-हिज्जा महीने के सातवें दिन से हज यात्रा शुरू होती है. इस दिन हाजी मक्का शहर पहुंचते हैं और इहराम (शरीर पर सफेद कपड़ा लपेटते हैं) बांधते हैं. फिर काबा के चारों तवाफ (परिक्रमा) करते हैं और सफा और मरवा नाम की दो पहाड़ियों के बीच सात बार चक्कर लगाते हैं. इसके बाद मक्का से 8 किमी दूर मीना में नमाज पढ़ते हैं.

दूसरे दिन हज यात्री माउंट अराफात जाते हैं और अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगते हैं. फिर मुजदलिफा के मैदानी इलाकों में इकट्ठा होते हैं और वहां एक रात ठहरते हैं. तीसरे दिन जमारात पर पत्थर फेंकने के लिए मीना जाते हैं. जमारात तीन पत्थरो का स्ट्रक्चर है, जिसे शैतान और जानवरों की बलि का प्रतीक समझा जाता है. इसके बाद फिर हज यात्री मक्का में तवाफ और सई करके जमारात लौटते हैं. हज के आखिरी दुनियाभर में दिन ईद-अल-अजहा यानी बकरीद मनाई जाती है.