(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिलेके नगर निगम में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब शहर के नगर आयुक्त ने आरोप लगाया है कि मेयर के पति अधिकारियों से संवेदनशील फाइलें मांग रहे हैं और नगर निगम के प्रतिदिन मामलों में उनकी तरफ से फैसला ले रहे हैं. बुधवार को विक्रमादित्य सिंह मलिक द्वारा अपने सहयोगियों को लिखे गए एक पत्र में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 और यूपी नगर निगम अधिनियम, 1959 की विभिन्न धाराओं का हवाला दिया गया.
इसमें उनके कार्यालय के विभागों के प्रमुखों से कहा गया कि वे मेयर के पति के साथ कोई भी दस्तावेज साझा न करें. निर्वाचित प्रतिनिधियों के रिश्तेदारों और नियमों का उल्लंघन करने पर दंड की चेतावनी दी गई. पत्र में लगाए गए आरोपों के जवाब में मेयर सुनीता दयाल ने एक और पत्र लिखा और दावा किया कि “मेरे पति ने कभी भी जीएमसी कार्यालय में कदम नहीं रखा है”. नगर निगम के सूत्रों ने कहा कि मेयर के पति भी उनकी ओर से आदेश पारित कर रहे थे. उनके अनुसार, मेयर के कैंप कार्यालय में एक कर्मचारी ने हाल ही में ट्रांसफर के बाद मेयर के पति को लेकर राज खोला.
कैंप कार्यालय के इस पूर्व कर्मचारी के अनुसार, पति जीएमसी अधिकारियों से मिल रहा था और ठेकेदारों के भुगतान से संबंधित फाइलों की फोटोकॉपी बना रहा था. एक सूत्र ने कहा, ‘पिछले छह महीनों से, नगर निगम आयुक्त को शिकायतें मिल रही थीं कि मेयर के पति जीएमसी के दैनिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहे थे. कुछ लोगों ने तो यहां तक कहा कि वह ठेकेदारों की फाइलों को ‘भुगतान’ पहुंचने के बाद ही मंजूरी देंगे. इस सब के बाद, नगर निगम आयुक्त अब संवेदनशील जानकारी साझा करने के खिलाफ आधिकारिक चेतावनी लेकर आए हैं.”नियमानुसार मेयर का कैंप कार्यालय ही नगर आयुक्त से फाइलें और दस्तावेज मांग सकता है. मेयर को एक रजिस्टर पर भी हस्ताक्षर करना होगा, जिसमें मांगी गई फ़ाइल और जानकारी को निर्दिष्ट करना होगा. गुरुवार को अपना पत्र सार्वजनिक होने के बाद से मलिक छुट्टी पर चले गए हैं. दयाल ने बाद में अपने पति के खिलाफ सभी आरोपों का खंडन करते हुए मलिक को एक और पत्र लिखा. उन्होंने अपना पत्र “लीक” करने के लिए मलिक की आलोचना की. मेयर ने मलिक द्वारा “एक निर्वाचित प्रतिनिधि” के खिलाफ आरोप लगाने के तरीके को “आपत्तिजनक और स्त्रीद्वेषपूर्ण” करार दिया.