कायाकल्प अवार्ड योजना के तहत प्रदेश के 145 हॉस्पिटलों में मानकों की जांच

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(www.arya-tv.com)  प्रयागराज में इलाज के लिए विभिन्न शहरों से मरीज आते हैं लेकिन यहां की स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल उठता रहता है। सरकारी अस्पताल तो आधा दर्जन से भी ज्यादा हैं लेकिन वहां मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पाता है। इसकी पुष्टि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से हुए सर्वे में हुई है। कायाकल्प अवार्ड योजना के तहत प्रदेश के 145 सरकारी अस्पतालों की पड़ताल की गई। जिसमें प्रयागराज के पांच सरकारी अस्पतालों की भी हकीकत देखी गई।

इसमें मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल (काल्विन), तेजबहादुर सप्रू (बेली), जिला महिला अस्पताल (डफरिन), जिला क्षय शामिल किया गया था। लेकिन स्थिति यह रही कि इसमें कोई भी अस्पताल टॉप-10 की सूची में नहीं शामिल हो सका।

14वें नंबर पर काल्विन, 33वें नंबर पर बेली अस्पताल

क्वालिटी एंश्यारेंस के जिला सलाहकार शुभेंद्र विकम्र ने दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान बताया कि स्टेट लेवल पर अस्पतालों का चयन होता है। इसमें चिकित्सा व्यवस्था, मरीजों से व्यवहार, स्वच्छता, सरकारी योजनाओं का लाभ आदि की पड़ताल की जाती है। एसीएमओ व इश्योरेंस क्वालिटी के नोडल डॉ. सत्येन राय के मुताबिक, 2021-22 में काल्विन अस्पताल 14वें स्थान पर है जबकि बेली अस्पताल 68वें नंबर पर है। जिला महिला अस्पताल 33वें नंबर पर है।

MDI और क्षयरोग अस्पताल बहुत पीछे

कायाकल्य अवार्ड योजना में प्रयागराज के पांच अस्पतालों में दो ऐसे अस्पताल हैं जो मानक पर खरे नहीं उतरे। इसमें मनोहर दास नेत्र संस्थान और जिला क्षयरोग अस्पताल तेलियरगंज हैं। यह दोनों अस्पताल 70 अंक से भी कम रहे इसलिए यह बहुत पीछे रहे।