(www.arya-tv.com) इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने एमए महिला अध्ययन में पीजी कोर्स में प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद अर्हता मानक बदलकर एक स्टूडेंट का आवेदन निरस्त कर दिया है. इस मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेहद गंभीरता से लिया है. हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी के फैसले को रद्द दिया है. साथ ही याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट में तीन बार याचिका दायर करने को बाध्य करने पर यूनिवर्सिटी पर 50 हजार का जुर्माना लगा दिया है. यूनिवर्सिटी प्रशासन को 15 दिन में याची को भुगतान करने का आदेश दिया है. यह आदेश जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की सिंगल बेंच ने दिया है.
याचिकर्ता अजय सिंह ने एमए महिला अध्ययन कोर्स में एडमिशन के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पीजीएटी 2022 के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था. उन्हें प्रवेश परीक्षा में 141.1अंक प्राप्त हुए. लेकिन बाद में पता चला कि उससे कम अंक पाने वाले अभ्यर्थी को प्रवेश दे दिया गया है. जिसके बाद उसने प्रत्यावेदन भी दिया. जिस पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने सूचना दी कि अर्हता नियम बदलने के कारण उसकी अभ्यर्थना निरस्त कर दी गई है. जबकि याची 55.8 फीसदी अंक से एल एल बी और 76.76 फीसदी अंक से एल एल एम पास है. उसने महिला अध्ययन में एम ए कोर्स के लिए आवेदन किया था. नियमानुसार वह प्रवेश के लिए अर्ह था. लेकिन बीच में क्राइटेरिया बदल दिया गया.
प्रवेश की अनुमति का नहीं दिया निर्देश
याची का कहना था गेम के बीच में खेल के नियम बदले नहीं जा सकते. कोर्ट ने माना कि याची के साथ गलती हुई. लेकिन कोर्ट ने इस समय प्रवेश की अनुमति देने पर विचार करने का निर्देश देने का औचित्य नहीं माना और कहा कि याची को मुकदमेबाजी में अनावश्यक फंसाने के लिए उसे मुआवजा पाने का पूरा हक है. इसलिए हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी पर भारी हर्जाना लगाते हुए याचिका निस्तारित कर दी है.