(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश के 15 जिलों में बाढ़ से हालात बेकाबू हैं। इन जिलों के 788 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें से 454 गांव पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। राहत बचाव के नाम मोमबत्ती, तिरपाल, लइया-बतासा व 4-4 पूड़ियां बांटी जा रही हैं। लेकिन ये राहत ऊंट के मुंह में जीरा है। जिन हाथों से तिनका-तिनका जोड़कर मकान बनाया था, अब लोग उसके अपने हाथों से उजाड़ रहे हैं। नावों पर गृहस्थी समेटकर सुरक्षित स्थानों की तरफ लोग जा रहे हैं। कुछ स्थानों पर जलस्तर घटने लगा तो कटान तेज हो गई है। सैकड़ों एकड़ फसल नदियों में समा रही हैं। बाढ़ से निपटने के लिए योगी सरकार ने 331 बाढ़ शरणालय बनाया है। जबकि 741 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई। अब तक प्रदेश में 14 की जान जा चुकी है।नेपाल सीमा पर बसे बहराइच जिले में नानपारा, कैसरगंज व महसी तहसील में सरयू नदी उफान पर है। यहां 25 गांवों में बाढ़ की स्थिति है। तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग अपना मकान छोड़कर गृहस्थी समेटकर पलायन करने को मजबूर हैं।
बाराबंकी: खेत खलिहान समेत गांव डूबे
सरयू नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। यहां बाढ़ की चपेट में आए प्रभावित गांवों के लोग घर छोड़कर पलायन को मजबूर हैं। तटवर्ती इलाकों के करीब 80 गांव इस समय बाढ़ की चपेट में हैं। इन गांवों में पानी भरने घरों में रखा अनाज व अन्य सामान खराब होने से लोगों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया है। वहीं, तटबंध पर जीवन गुजार रहे लोगों के लिए बारिश मुसीबत बनी है।
सीतापुर: 35 हजार की आबादी की जिंदगी मझधार में
यहां गांजरी इलाका हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका का दंश झेलने को मजबूर होता है। शासन और प्रशासन के दावे महज कागजों पर ही सिमट कर रह जाते हैं। गांजरी इलाके की तकरीबन 35 हजार से अधिक की आबादी इस वक्त बाढ़ की चपेट में है और लोग घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर पलायन करने को मजदूर हैं। बिसवां और महमूदाबाद तहसील के तकरीबन 30 से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी भर चुका है और नदी किनारे नदियां कटान कर रही हैं।
श्रावस्ती: राप्ती की कटान से सहमे ग्रामीण
राप्ती का जलस्तर घटने के साथ कटान तेज हो गई है। यहां तहसील इकौना के नारायनपुर गांव के पास राप्ती नदी की कटान से ग्रामीण सहमे हुए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि करीब 50 मीटर की दूरी पर गांव और विद्यालय है। यदि ऐसी ही कटान होती रही तो जल्द ही गांव नदी में समा जाएगा।