(www.arya-tv.com) नई दिल्ली. भारत के लिए बेहद चिंताजनक खबर सामने आ रही है. एक स्टडी के मुताबिक, 2050 तक देश के उत्तर-पश्चिमी इलाकों में हीटवेव 400 से 700 फीसदी बढ़ जाएगी. केंद्र सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन महामना सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ने क्लाइमेट चेंज पर रिसर्च के विश्लेषण के जरिए अनुमान लगाया है कि भारत 2050-60 तक रिकॉर्ड तोड़ तापमान का सामना करेगा.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक नए विश्लेषण में अनुमान लगाया गया है कि भारत भर के शहर गर्म हो जाएंगे, देश के उत्तर-पश्चिमी, मध्य और दक्षिण-मध्य हिस्से नए हीटवेव हॉट स्पॉट के रूप में उभरेंगे और वैज्ञानिकों ने यह भी चेतावनी दी है कि देशभर में भीषण गर्मी होगी. रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल वार्मिंग 2040 के आसपास चरम पर होगी, जिससे मानव स्वास्थ्य, कृषि और बुनियादी ढांचे पर गहरा असर होगा.
रिप्रेजेंटेटिव कॉन्सनट्रेशन पाथवे (आरसीपी) 4.5 की स्थिति में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन सदी के मध्य में चरम पर होगा और सदी के अंत में गिरावट शुरू हो जाएगी, जबकि आरसीपी 8.5 की स्थिति बनने पर उत्सर्जन पूरी सदी में बढ़ता रहेगा. आरसीपी का उपयोग ग्रीनहाउस गैसों के जमाव के आकलन के लिए किया जाता है, जो मानव गतिविधियों की वजह से वायुमंडल में तेजी से बढ़ रहा है.
इसमें इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि आने वाले वर्षों में हीटवेव परिदृश्य और खराब हो जाएगा, इस बात पर जोर देते हुए कि 2060 तक, प्रति सीजन लगभग दो हीटवेव बढ़ने की आशंका है. इसमें बताया गया है कि लू की अवधि भी लगभग 12 से 18 दिनों तक बढ़ने की उम्मीद है, जबकि अधिकतम दो से चार दिन है. मौसम ब्यूरो की रिपोर्ट में कहा गया है, 2060 तक, लगभग दो हीटवेव की वृद्धि होगी और हीटवेव की अवधि में 12-18 दिनों की वृद्धि होगी. उत्तर पश्चिम भारत में प्रति मौसम लगभग 30 दिनों की कुल अवधि में लगभग चार हीटवेव का अनुभव हो सकता है.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘जब हमारे पास इस तरह के अनुमान होंगे, तो हम जलवायु से प्रभावित होने वाले शहरों के लिए योजना बनाने के लिए राज्य और स्थानीय सरकारों को शामिल करेंगे. इस पर काम पहले से ही चल रहा है, केंद्र ने सभी शहरों के लिए हीट एक्शन प्लान बनाना और हीटवेव के प्रति सबसे संवेदनशील शहरों को चिह्नित करने और पहचानने के लिए हीट सेंसस आयोजित करना जरूरी कर दिया है.’