(www.arya-tv.com)म्यांमार में अब सेना और पुलिस के निशाने पर हेल्थकेयर वर्कर्स हैं। उन्हें राजद्राेही या विद्राेही बताकर पीटा जा रहा है। यहां तक कि मरीजाें के इलाज के दाैरान भी सेना और पुलिस के जवान अस्पताल में घुसकर डाॅक्टराें के साथ मारपीट कर रहे हैं। नर्साें काे निशाना बना रहे हैं। डॉक्टरों और नर्सों पर फर्ज न निभाने और देशद्रोह के मुकदमे लगाए जा रहे हैं। उनकी हत्या तक की जा रही है। इससे कोरोना महामारी से जूझ रहे देश में टीकाकरण भी रुक गया है। डाॅक्टराें काे बंदूक की बट से पीटने के कई वीडियाे भी सामने आए हैं।
हेल्थवर्कर्स को प्रताड़ित किए जाने की वजह है सैन्य तख्तापलट के खिलाफ उनके द्वारा किया जाने वाला विरोध। सेना ने उन्हें विद्राेही करार दिया है। ऐसे 400 डॉक्टरों और 180 नर्सों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जा चुका है। दुनियाभर में संघर्षों का विश्लेषण करने वाली इनसिक्योरिटी इनसाइट के अनुसार फरवरी से अब तक कम से कम 157 हेल्थवर्कर्स को गिरफ्तार किया गया है। इनमें 32 घायल हुए हैं और 12 की हत्या हुई। लगभग 51 अस्पतालों पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है। बता दें म्यांमार में 2018 में प्रति 10 हजार लोगों पर सिर्फ 6.7 डॉक्टर थे। जबकि 2017 में दुनिया में इसका औसत 15.6 था।
अब तक 400 डॉक्टरों और 180 नर्सेस के खिलाफ वारंट
युद्ध के हथियार के रूप में निशाना बना रही सेना
म्यांमार की सैन्य सरकार जान-बूझकर पूरी स्वास्थ्य प्रणाली को युद्ध के हथियार के रूप में निशाना बना रही है। यांगून में पिछले कई दिनाें से भागे-फिर रहे एक डॉक्टर ने कहा, ‘हम मानते हैं कि मरीजों का इलाज करना हमारा मानवीय और नैतिक काम है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि इसे अपराध बना दिया जाएगा।’
ये डाॅक्टर फरवरी के आखिरी सप्ताह से सेना और पुलिस से छिपे हुए हैं। क्याेंकि ये सेना के खिलाफ प्रदर्शनाें में घायल लाेगाें का इलाज कर रहे थे। ये डाॅक्टर जिस क्लीनिक में इलाज कर रहे थे, वहां सेना और पुलिस ने एक दिन छापेमारी की। उनके कई साथियाें काे उठा कर ले गई। इन हमलों से लाेगाें में सेना के खिलाफ आक्रोश और बढ़ा है।
म्यांमार में हेल्थवर्कर्स पर 240 हमले हुए
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में डाॅक्टराें या हेल्थवर्कर्स पर इस साल अभी तक हमलाें की 508 घटनाएं दर्ज हैं। इनमें से 240 हमले सिर्फ म्यांमार में हुए हैं। अमेरिका स्थित फिजिशियंस फाॅर ह्यूमन राइट्स के निदेशक डाॅ. राहा वाला ने कहा, ‘यह उन लोगों का एक समूह है, जो म्यांमार में दशकों से मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ खड़े हैं। जो सही है सब उसके लिए खड़े हैं। सेना उनके खिलाफ अत्याचार करने पर उतर आई है।’