ठंड में बढ़ जाते हैं ब्रेन स्ट्रोक के केस, न्यूरोसर्जन से जानें कारण और बचाव के उपाय

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(www.arya-tv.com) रांची. ठंड के मौसम में अक्सर ऐसा देखा जाता है कि ब्रेन स्ट्रोक का खतरा खासकर बुजुर्गों में काफी बढ़ जाती है.अगर सही समय पर इसका इलाज न की जाए तो मरीज की मौत भी हो जाती है.ऐसे में अगर समय रहते ही कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रख लिया जाए.तो ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है.झारखंड की राजधानी रांची स्थित रिम्स के जाने-माने न्यूरो सर्जन डॉ विकास ने बताया ठंड के मौसम में खासकर ब्रेन स्ट्रोक का खतरा अधिक रहता है.लेकिन अगर कुछ बातों को जानकार अगर सावधानी रखते हैं.तो काफी हद तक आप इस खतरे से बाहर रहेंगे.खासकर जो बीपी शुगर के मरीज है उन्हें इस वक्त काफी सावधान रहने की जरूरत है.

डॉ विकास बताते हैं खास का ठंड में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा अधिक रहता है.जिनमें एक कारण यह है कि जो हमारी आर्टरी होती है उसे ब्लड का फ्लो काफी धीमा हो जाता है.खासकर यह ठंड के कारण होता है.ब्लड फ्लो धीमा होने के कारण ब्लड क्लाट और खून के थक्के जमने के चांसेस अधिक होते हैं.जिस वजह से स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है. उन्होंने आगे बताया ठंड के दिनों में खून काफी गाढ़ा हो जाता है और इसका सबसे अधिक असर पूरे शरीर के दिमाग में अधिक देखा जाता है.दिमाग के नस काफी सेंसिटिव होते हैं और यहां पर हल्का सा भी धक्का जमने से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा काफी अधिक रहता है

इन लोगों को रहना होगा अधिक सावधान

• डॉ विकास ने बताया वैसे तो ब्रेन स्ट्रोक किसी भी व्यक्ति को हो सकता है. लेकिन खासकर वह व्यक्ति जिनको बीपी शुगर जैसी समस्या है.वह इस समय अपना खास ख्याल रखें.
• मॉर्निंग वॉक बिल्कुल सुबह-सुबह ना जाए, हल्की धूप निकलने पर ही जाए.साथ ही समय पर दवाई लेते रहे व नहाते समय हल्के गुनगुने पानी से ही नहाये.बहुत ठंडे पानी से नहाने से बचे क्योंकि इससे स्ट्रोक का खतरा अधिक रहता है.
• ठंड के मौसम में हर एक व्यक्ति को थोड़े देर गुनगुनी धूप में बैठना चाहिए.इससे आपको विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में तो मिलेगी ही.साथ ही शरीर में ब्लड फ्लो भी सामान्य रहेगा.
•शारीरिक एक्टिविटी भी बढ़ाएं. इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही रहेगा.वहीं, पानी पर्याप्त मात्रा में पिए और मौसमी फल का प्रयोग करें.इससे खून गाढ़ा होने जैसी समस्या नहीं होगी. अगर इन बातों का ख्याल रख लिया जाए तो ब्रेनस्ट्रोक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है.