भारतीय पूर्व स्पिनर के नेतृत्व में ICC क्रिकेट कमेटी ने अंपायर्स कॉल को सपोर्ट करने का फैसला किया

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(www.arya-tv.com)तमाम विरोध के बावजूद ICC क्रिकेट कमेटी ने डिसीजन रिव्यू सिस्टम के अंपायर्स कॉल को सपोर्ट करने का फैसला लिया है। भारत के पूर्व स्पिनर अनिल कुंबले के नेतृत्व में कमेटी इसको आगे होने वाले ICC के चीफ एग्जीक्यूटिव की मीटिंग में भी इसे बरकरार रखने की सिफारिश करेगा। इंग्लैंड के खिलाफ वनडे से पहले भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भी अंपायर्स कॉल का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि इससे काफी कन्फ्यूजन पैदा हो रहा है।

खिलाड़ियों और फैन्स को नियम अच्छे से समझाने की जरूरत
ईएसपीएन क्रिकइंफो की रिपोर्ट के मुताबिक मार्च में हुए ICC क्रिकेट कमेटी की पिछली मीटिंग में कमेटी के मेंबर्स इस नतीजे पर पहुंचे थे कि इस रूल को खिलाड़ियों और फैन्स को बेहतर तरीके से समझाने की जरूरत है। कमेटी का मानना है कि इस नियम को इसलिए बरकरार रखना चाहिए, क्योंकि बॉल ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी हमेशा 100% सही नहीं होती।

कमेटी ने ऑफिशियल्स और ब्रॉडकास्टर्स से नियम को लेकर बात की
कमेटी में कुंबले के अलावा कई पूर्व कप्तान हैं। इसमें राहुल द्रविड़, इंग्लैंड के पूर्व कप्तान एंड्र्यू स्ट्रॉस, श्रीलंका के पूर्व कप्तान माहेला जयवर्धने, साउथ अफ्रीका के पूर्व कप्तान शॉन पोलक शामिल हैं। इनके अलावा मैच रेफरी रंजन मदुगले और अंपायर रिचर्ड इलिंगवर्थ और मिकी आर्थर भी इस कमेटी में शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कमेटी ने नियम को लेकर दूसरे मैच ऑफिशियल्स, ब्रॉडकास्टर्स और हॉक आई और बॉल ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी सप्लायर से भी बातचीत की है।

MCC के मेंबर्स भी नियम को लेकर दो ग्रुप में बंटे
इसके अलावा कमेटी ने क्रिकेट के नियम बनाने वाली संस्था मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) के दूसरे मेंबर्स से भी इस बारे में बातचीत की है। रिपोर्ट के मुताबिक MCC के कुछ मेंबर्स अंपायर्स कॉल को लेकर नियम से सहमत हैं। वहीं कुछ चाहते हैं कि इस नियम की जगह सिंपल आउट और नॉटआउट का नियम लागू होना चाहिए। जब इस बारे में भारतीय अंपायर नितिन मेनन से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि इसे बदलना नहीं चाहिए।

टेक्नोलॉजी 100% सही नहीं होता, इसलिए अंपायर्स कॉल
अंपायर मेनन ने न्यूज एजेंसी से कहा कि अंपायर्स कॉल सिर्फ उन मामलों के लिए है, जिसमें मामला बेहद करीबी होता है। यह दोनों टीमों में से किसी ओर भी जा सकता है। यह ऑन-फील्ड अंपायर के फैसले पर निर्भर करता है। यह कोई परफेक्ट डिसीजन नहीं है, जिसे बदला गया हो। इसमें फैसला 50-50 होता है, जो किसी भी ओर जा सकता है। जब हम जानते हैं कि टेक्नोलॉजी खुद 100% परफेक्ट नहीं है, तब हम अंपायर्स कॉल का इस्तेमाल करते हैं।

दर्शकों को बेहतर तरीके से टेक्नोलॉजी को समझने की जरूरत
नितिन मेनन ने कहा कि जब हम जानते हैं कि टेक्नोलॉजी में भी कुछ खामियां हैं, तो जो भी निर्णय ऑन-फील्ड अंपायर देता है, वही सही है। भले ही वह कितना भी करीबी मामला रहा हो। इसे आम लोगों को भी समझने की जरूरत है, क्योंकि उन्हें DRS में अंपायर्स कॉल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। अंपायर्स कॉल को सिर्फ करीबी मामलों में इस्तेमाल किया जाता है और टेक्नोलॉजी भी यह नहीं बता सकती कि गेंद स्टंप को हिट कर रही है या नहीं।