हाईकोर्ट के आदेश और स्मार्ट सिटी योजना से नगर निगम की ओर से 6 करोड़ 17 लाख रुपये का बजट पास होने के बाद भी ऐतिहासिक छोटे इमामबाड़े के दोनों जर्जर गेटों की मरम्मत की उम्मीदें ध्वस्त होती दिख रही हैं। हाईकोर्ट ने जनवरी में मरम्मत का आदेश दिया था, लेकिन आदेश के 10 महीने पूरे होने के बाद भी मरम्मत कार्य की शुरुआत नहीं हो पाई है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में वर्ष 2013 में याचिका दायर की गई थी। इसमें बताया गया था कि छोटे इमामबाड़े के दोनों गेट देखरेख के अभाव में पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं और जबरदस्त अतिक्रमण का शिकार हैं।
इंटेक कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट को जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी
हाईकोर्ट ने हुसैनाबाद ट्रस्ट और जिला प्रशासन को दोनों गेट से अतिक्रमण और अवैध कब्जों को हटाने का निर्देश देते हुए जीर्णोद्धार का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखरेख में कराए जाने का निर्देश दिया। इसके बाद नगर निगम ने बजट पास कर दिया था। जीर्णोद्धार का काम इंटेक कंजर्वेशन इंस्टीट्यूट को सौंप दिया गया, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है।
दोनों जर्जर गेटों के बीच बना दिया फूड हब
छोटे इमामबाड़े के दोनों जर्जर गेटों के बीच फूड हब तैयार कर दिया गया है। सूरज डूबते ही यहां खाने का बाजार सज जाता है। लोगों और वाहनों की वजह से बमुश्किल 100 मीटर का रास्ता तय करने में कभी-कभी 30 मिनट भी लग जाते हैं।फूड हब से पैसा कमाने की होड़ के बीच अगर इन दोनों गेट में से किसी एक में भी कोई हादसा हुआ तो हालात संभालना मुश्किल हो जाएगा।
