सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे हरीश रावत:बगावत के बीच पंजाब में कांग्रेस के हालात पर देंगे रिपोर्ट

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(www.arya-tv.com)पंजाब कांग्रेस इंचार्ज हरीश रावत शुक्रवार को ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने पहुंच गए हैं। यह मुलाकात सोनिया के दिल्ली स्थित आवास में ही हो रही है। पहले हरीश रावत की बैठक शनिवार के लिए टल गई थी लेकिन फिर अचानक वह शुक्रवार दोपहर बाद ही मिलने पहुंच गए। सोनिया गांधी को वह पंजाब में कांग्रेस पार्टी की मौजूदा स्थिति को लेकर रिपोर्ट देंगे। जिसमें खास तौर पर कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत के बाद अब नवजोत सिद्धू की अधिकारों को लेकर तीखी बयानबाजी का मुद्दा भी उठ सकता है।

कांग्रेस हाईकमान से मुलाकात से पहले हरीश रावत ने कहा कि जब कोई चीज बहुचर्चित हो जाती है तो हाईकमान को बताना जरूरी हो जाता है। रावत ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं की व्यस्तता से अब बैठक कल होगी। इसमें उन्होंने जो देखा व सुना है, हाईकमान के आगे रख देंगे।

खास बात यह है कि हरीश रावत इन दोनों मुद्दों पर पहले ही कांग्रेस हाईकमान का रुख स्पष्ट कर चुके हैं। बगावत का वे जवाब दे चुके हैं कि विधानसभा चुनाव 2022 कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में लड़े जाएंगे। वहीं, सिद्धू के मामले में रावत यहां तक कह चुके कि उन्हें सिर्फ प्रधान बनाया है, पूरी कांग्रेस नहीं सौंपी। ऐसे में माना जा रहा है कि रावत की मुलाकात के बाद नवजोत सिद्धू के लिए हाईकमान का सीधा मैसेज आ सकता है।

तीनों मंत्री भी दिल्ली में
यह भी कहा जा रहा है कि कैप्टन के खिलाफ बगावत करने वाले माझा एरिया के तीनों मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा, सुखजिंदर रंधावा और सुखबिंदर सिंह सुख सरकारिया भी दिल्ली में हैं। वे भी हरीश रावत के साथ कांग्रेस हाईकमान से मिलने की कोशिश में हैं। इन तीनों मंत्रियों ने गुरुवार को कैबिनेट बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया। हालांकि, इनमें से चरनजीत सिंह चन्नी लौट चुके हैं। बागी मंत्रियों का यह भी कहना है कि कैप्टन का समर्थन करने वाले अधिकांश विधायक डर की वजह से खुलकर कुछ नहीं कह रहे। वे कांग्रेस हाईकमान के आगे पूरी बात रखेंगे।

अब तक सिद्धू पर भारी पड़े कैप्टन
नवजोत सिद्धू पर कैप्टन अमरिंदर सिंह अभी तक भारी पड़े हैं। अमरिंदर की सांसद पत्नी परनीत कौर ने सिद्धू पर बगावत के आरोप लगाए। इस पर कैप्टन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। हालांकि, गुरुवार देर रात खेल मंत्री राणा सोढ़ी के घर डिनर पर 58 विधायक, 8 सांसद और पिछला विधानसभा चुनाव हारे 30 नेताओं को इकट्‌ठा करके सियासी ताकत दिखा दी गई है।

खास बात यह है कि इसमें नवजोत सिंह सिद्धू या उनके खेमे के मंत्रियों और विधायकों को नहीं बुलाया गया। बगावत के बहाने कैप्टन इस लिहाज से भी मजबूत होकर उभरे हैं कि अगले विस चुनाव की अगुवाई को लेकर सिद्धू और कैप्टन के बीच का संशय भी खत्म हो गया।