डोनाल्ड ट्रंप का H-1B वीजा नियमों में बड़ा बदलाव, बढ़ा आवेदन शुल्क

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वाशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 19 सितंबर, 2025 को H-1B वीजा आवेदनों के लिए नए नियमों को मंजूरी दी, जिसमें आवेदन शुल्क को बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) कर दिया गया है। इस फैसले का सबसे अधिक प्रभाव भारतीय पेशेवरों पर पड़ेगा, क्योंकि H-1B वीजा प्राप्त करने वालों में भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा है।

अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने इस शुल्क वृद्धि की घोषणा करते हुए कहा कि अब कंपनियों को प्रत्येक H-1B वीजा के लिए प्रतिवर्ष 1,00,000 डॉलर का भुगतान करना होगा। उन्होंने बताया, “हमने प्रमुख कंपनियों से चर्चा की है, और वे इस नए शुल्क के लिए तैयार हैं।”

‘अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता देना लक्ष्य’

लुटनिक ने आगे कहा कि इस नीति का उद्देश्य अमेरिकी विश्वविद्यालयों से स्नातक करने वाले छात्रों को प्राथमिकता देना है। उन्होंने जोर देकर कहा, “हमें अपने देश के प्रतिभाशाली स्नातकों को प्रशिक्षण और अवसर देने चाहिए, न कि विदेश से लोगों को लाकर अमेरिकी नौकरियों पर कब्जा करने देना चाहिए।” ट्रंप ने दावा किया कि प्रौद्योगिकी क्षेत्र इस बदलाव का स्वागत करेगा और नए शुल्क से संतुष्ट होगा।

हालांकि, अमेजन, एप्पल, गूगल और मेटा जैसी प्रमुख टेक कंपनियों ने इस मुद्दे पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

भारतीय पेशेवरों पर सबसे ज्यादा असर

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, H-1B वीजा प्राप्त करने वालों में 71% भारतीय हैं, जबकि 11.7% चीनी नागरिक हैं। यह वीजा आमतौर पर 3 से 6 साल की अवधि के लिए जारी किया जाता है। अमेरिका हर साल लॉटरी सिस्टम के माध्यम से 85,000 H-1B वीजा जारी करता है। इस साल अमेजन को सबसे अधिक 10,000 से ज्यादा वीजा धारक मिले, इसके बाद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल और गूगल का स्थान रहा। यूएससीआईएस के अनुसार, कैलिफोर्निया में H-1B वीजा धारकों की संख्या सबसे अधिक है।