(www.arya-tv.com)वैशाली के बासोकुंड गांव के पास कुंडलपुर में भगवान महावीर स्वामी का जन्म हुआ था। अब इस भूमि पर भगवान महावीर का भव्य मंदिर है। वैशाली ही वह जगह है, जहां बुद्ध ने अपने निर्वाण की घोषणा भी की थी। इसलिए यह बौद्धों के लिए भी पवित्र भूमि है।
अब तक यह मान्यता रही है कि सम्राट अशाेक ने यहां भगवान बुद्ध की स्मृति में सिंह वाले स्तंभ का निर्माण कराया था। लेकिन, अब इसे लेकर एक नया दावा सामने आया है। नए उत्खनन में मिले पुरातात्विक अवशेषों पर शाेध कर रहे जैन दार्शनिकों ने दावा किया है कि यह अशोक स्तंभ भगवान बुद्ध नहीं, बल्कि भगवान महावीर की दीक्षा की स्मृति में बनाया गया ‘मनोज्ञ स्तंभ’ है।
दावा- सम्राट अशोक ने बनवाया महावीर स्तंभ
इतिहासकार सच्चिदानंद चौधरी की किताब के हवाले से वैशाली इंस्टीट्यूट आॅफ रिसर्च के डाॅ आरसी जैन और वैशाली के महावीर पुस्तक के संपादक राजेन्द्र जैन कहते हैं कि महावीर ने ज्ञातृ वन में 12 वर्ष तप के बाद राजा बकुल के भवन में प्रथम आहार किया था। इस भवन के अवशेष एक सिंह वाले स्तंभ के पास मिले हैं। दावा है कि अशाेक ने महावीर की स्मृति में यह स्तंभ बनवाया था।
स्तंभ पर एक ही सिंह इसलिए यह महावीर का प्रतीक
जैन दार्शनिकों का तर्क है कि भगवान महावीर का प्रतीक चिह्न एक सिंह है और वैशाली के प्रसिद्ध अशोक स्तंभ में भी एक ही सिंह है। जबकि बुद्ध से जुड़े स्थलों पर प्रतीक चिह्नों में सिंह की संख्या चार है। महावीर के जन्म स्थल की मिट्टी काे अहिल्य माना जाता है। यानी ऐसी भूमि जहां हल नहीं चलाया जा सकता। इसलिए इसके आसपास के स्थान पर कभी हल नहीं चलाया गया।
गुजरात का पालीताणा आज दुनिया के पहले संपूर्ण शाकाहारी शहर के रूप में जाना जाता है। जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से अधिकांश ने यहां के शत्रुंजय शिखर को छुआ है। करीब 70 हजार की आबादी वाले इस शहर में यूं तो जैन समुदाय की आबादी सिर्फ 1200 है, लेकिन इतनी कम आबादी पर यहां समाज की 300 से अधिक धर्मशालाएं हैं। हर साल 500 से अधिक संत यहां आते हैं। इन संताें के प्रभाव से ही पालीताणा दुनिया का पहला मांसाहार मुक्त शहर बना है।
यहां वर्ष 2014 में गच्छाधिपति दौलतसागर महाराज की प्रेरणा से मुनि विरागसागर महाराज ने अवैध तरह से मांस की बिक्री के खिलाफ अभियान शुरू किया था। 200 से अधिक साधु-साध्वी इस मुद्दे को लेकर उपवास पर बैठ गए थे। तब तत्कालीन सरकार ने पालीताणा को ‘मांसाहार मुक्त’ शहर घोषित किया। शहर में आचार्य अभयदेवसूरी महाराज की प्रेरणा से सड़कों का निर्माण भी किया गया है।
मांस का कारोबार करने वालों को रोजगार दिया
मांस के व्यापार से जुड़े लोगों की दूसरे रोजगार में पूरी मदद की गई। ऐसे ही व्यापार से जुड़े रसूल बादशाह बताते हैं कि मुनि विरागसागर महाराज ने हमें रूबरू बुला कर समझाया था। उन्होंने जोर-बल से काम बंद करवाने की बजाय आर्थिक मदद कर दूसरे कामधंधे अपनाने की प्रेरणा दी। आज मैं ऑटो रिक्शा चला कर परिवार का निर्वाह कर रहा हूं। अब मेरे परिवार में कोई भी मांसाहार नहीं करता।’
आज उस दृश्य की पेंटिंग: जब जैन मुनि से प्रभावित अकबर ने रोकी थी जीव हत्या
सूरत के जिनालय में हीरविजय सूरीजी से अकबर की मुलाकात की यह पेंटिंग लगी है। मुगल सम्राट अकबर ने विक्रम संवत 1652 (वर्ष 1601) में आचार्य हीरविजय सूरिजी को फतेहपुर सीकरी आमंत्रित किया था। हीरविजयजी ने दरबार में बिछे कालीन पर यह कहते हुए चलने से इनकार कर दिया कि इससे इसके नीचे जो जीव हैं उनके प्रति हिंसा होगी। अकबर अहिंसा के इतने ऊंचे आदर्श से प्रभावित हुआ। उसने पर्यूषण सहित खास तिथियों पर जीव हिंसा पर रोक लगा दी। कहा जाता है कि उसने शाकाहार को भी अपना लिया था।