डूब गए श्मशान घाट, लकड़ी से लाश जलाने के लिए जगह नहीं; विद्युत शवदाह गृह में लाशों की कतार

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(www.arya-tv.com) प्रयागराज में लगातार गंगा और यमुना का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी शवों के अंतिम संस्कार में हो रही है। शहर में करीब आधा दर्जन श्मशान घाट हैं, जो पूरी तरह से बाढ़ में डूबे हुए हैं। यही कारण है कि लोग शव का अंतिम संस्कार श्मशान घाट पर सनातनी परंपरा के मुताबिक नहीं कर पा रहे हैं। लाचार होकर उन्हें शंकरघाट और दारागंज के विद्युत शवदाह गृह जाना पड़ रहा है।

श्मशान घाट से लौटाई जा रही हैं लाशें

रसूलाबाद घाट पर बुधवार तक शवों का अंतिम संस्कार लकड़ी पर जलाकर किया जा रहा था। मगर उसी दिन रात में गंगा का जलस्तर इतना तेज बढ़ा कि रसूलबाद घाट पूरी तरह से गंगा में जलमग्न हो गया। गुरुवार की सुबह लोगों ने देखा कि श्मशान घाट पूरी तरह से डूब चुका है। स्थिति यह हुई कि एक भी शव जलाने का जगह नहीं बची।

पानी सड़क तक आ गया। महराजिन बुआ समिति के सदस्य राजेश निषाद बताते हैं कि बाढ़ का पानी बढ़ गया है। जो लाशें यहां आ रही हैं उन्हें जलाने के लिए जगह नहीं है। अस्थायी तौर पर श्मशान घाट तैयार किए जाने की तैयारी है। दारागंज, फाफामऊ, ककरहा, अरैल, छतनाग और नई झूंसी के तट पर लोग अंतिम संस्कार करने पहुंचते हैं, लेकिन अब यह स्थान बाढ़ की चपेट में हैं।

बिजली से जलाई जा रही हर रोज 50 लाश
प्रयागराज में 2 विद्युत शवदाह गृह चल रहे हैं। पहला दारागंज और दूसरा शंकरघाट पर है। दो-तीन पहले तक यहां एक या दो लाशें लाई जाती थीं, लेकिन अब यहां प्रतिदिन औसतन 50 लाशें लाई जा रही हैं। दारागंज शवदाह गृह के ऑपरेटर विमल चंद्र बताते हैं कि बुधवार को यहां 20 लाशें जलाई गई थी। इसी तरह शंकरघाट शवदाह गृह के सदस्य सुरेश मिश्रा और ज्वाला प्रसाद पुष्कर बताते हैं रसूलाबाद घाट पर अंतिम संस्कार के लिए इन दिनों प्रतिदिन 15 से 20 लाशें जलाई जा रही है।

बिजली कटते ही बंद हो जाती है मशीन
शंकरघाट शवदाह गृह के केयर टेकर सुरेश ने दैनिक भास्कर को बताया कि एक लाश बिजली मशीन से जलाने में एक से डेढ़ का समय लग जाता है। इसी बीच बिजली कट गई तो लोगों को इंतजार करना पड़ता है। यहां जनपद के कोने कोने से लोग शव जलाने के लिए लाते हैं।

परिजन बोले, मजबूरी है, क्या करें?
प्रतापगढ़ जनपद के मनोज कुमार कहते हैं कि वह शव को लेकर पहले रसूलाबाद घाट पर ही गए थे लेकिन वहां पानी होने की वजह से जलाने का जगह नहीं मिला तो। अब मजबूरी में बिजली शवदाह गृह में शव को लाया हूं और यहीं अंतिम संस्कार होगा। वहीं नवाबगंज के श्रीपति सिंह कहते हैं कि हम लोग लकड़ी भी खरीद लिए थे लेकिन लकड़ी पर शव जलाने की व्यवस्था नहीं बन पाई अब बिजली से ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जा रही है।