शहर में 400 करोड़ खर्च,फिर भी हालत बत से बतर

Agra Zone

(www.arya-tv.com) दो साल पहले 12 दिसंबर को शहर की नई सरकार चुनी गई थी। इसके मुखिया चुने गए थे महापौर नवीन जैन। जनता ने इस उम्मीद के साथ यह बदलाव किया था कि शहर के हालात बदलेंगे। एक नवीन आगरा बनाने की पहल हुई थी और सबने इसका संकल्प लिया था।

उम्मीद थी कि नवीन आगरा एक मॉडल के रूप में सबके सामने आएगा, लेकिन हालात जस के तस हैं। गंदगी से रिश्ते के कारण रिसते जख्म से शहर कराह रहा है। जनता कूड़े के ढेर, बीमारी, जलभराव, सिल्ट से भरे खुले नाले, पेयजल संकट, अतिक्रमण, पथप्रकाश, बेसहारा गोवंश के आतंक से तब भी परेशान थी और आज भी है।

शहर की सीवेज के ट्रीटमेंट के लिए 400 करोड़ खर्च होने के बावजूद अभी तक कोई लाभ नहीं मिल सका है। अवैध होर्डिंग, अवैध पार्किंग, अतिक्रमण यहां बेरोकटोक जारी है। आइए शहर की समस्याओं और उनके समाधान के लिए हुए प्रयासों पर एक नजर डालते हैं।
योनजाएं चलती रहीं बदलाव फिर भी न हुआ

शहर में कूड़ा निस्तारण की योजनाएं तो बहुत चलीं लेकिन जमीनी हालात में बहुत बदलाव नहीं दिखा। यहां रोजाना 750 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। निगम के पास लगभग 3200 सफाई कर्मचारियों की फौज और 500 से ज्यादा कूड़ा वाहन उपलब्ध हैं।

फिर भी शहर गंदा रहता है। नालों से गंदगी निकालकर सड़क पर ढेर कर दिया जाता है। हर साल स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर को हार का मुंह देखना पड़ता है।

नगरीय सरकार के दो साल हो रहे हैं 12 दिसंबर को पूरे। शहर में लोग आज भी जूझ रहे है, टूटी सड़कों बजबजाती नालियों और गंदगी के ढेरों से। उनके समाधान के लिए हुए प्रयासों पर एक नजर डालते हैं।
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना भी यहां मंजूर हुई।

इसके तहत शहर में घर-घर और चप्पे-चप्पे से कूड़ा उठाकर उसका निस्तारण किया जाना था, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते एक कार्यदायी एजेंसी काम छोड़कर भाग गई जबकि चार कंपनियों की जांच जारी है। इन कंपनियों पर बिना डोर टू डोर कूडा कलेक्शन के ही भुगतान लेने का आरोप है।

हाथ ठेलों को हाथ भी न लगाया

कॉलोनियों से कूडा उठाने के लिए एक हजार हाथ ठेले छह माह पूर्व क्रय किए गए पर आज तक वह रोड पर नहीं दिखाई दिए। सरकारी धन से खरीदा सामान गोदाम की शोभा बढ़ा रहा है।