(www.arya-tv.com) 2 मार्च 2007, योगी आदित्यनाथ संसद में बोलने के लिए खड़े हुए और फूट-फूटकर रोने लगे। पीछे बैठे सांसद ने कंधे पर हाथ रखा और बगल बैठे सांसद ने रुमाल से योगी के आंसू पोछे। स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने कहा,”योगी जी, रोइए नहीं। आराम से अपनी बात कहिए।”
योगी के रोने के पीछे गोरखपुर की एक घटना थी। जिसमें योगी आदित्यनाथ को 11 दिन जेल में रहना पड़ा था। योगी की गिरफ्तारी के बाद शहर में जगह- जगह आगजनी शुरू हो गई। कई दुकानों और गाड़ियों को जला दिया गया और क्षतिग्रस्त हो गया। जिसके बाद शहर के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया।
इधर शहर के व्यापारियों ने खुद ही अपनी दुकानों को बंद कर दिया। योगी के जेल में रहने तक दुकानें 11 दिन तक गोरखपुर की सभी बंद रहीं। कई दिनों तक आगजनी की घटनाएं होती रहीं और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात करनी पड़ी। हालत इतनी खराब हो गई कि रातों-रात डीएम और SSP तक हटा दिए गए। हेलिकॉप्टर ने नए डीएम और SSP गोरखपुर भेजे गए।
16 साल बाद गिरफ्तार हुआ शमीम
दरअसल, इस मामले का मुख्य आरोपी शमीम को गोरखपुर की कोतवाली पुलिस ने 12 सितंबर को 16 साल के बाद गिरफ्तार किया है। शमीम शहर के कोतवाली इलाके के नसीराबाद का रहने वाला है। हालांकि, इस घटना के बाद भी पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। लेकिन, चूंकि उस वक्त उस पर आरोप तय नहीं हुए थे, जिसकी वजह से 16 अगस्त 2007 को ही शमीम जमानत कराकर जेल से बाहर आ गया और तभी से वह फरार चल रहा था। वह एक बार भी केस के दौरान कोर्ट में हाजिर तक नहीं हुआ।
हालांकि, इस मामले में कोर्ट ने अन्य आरोपियों को साल 2012 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वहीं, कोर्ट ने आरोपी शमीम के खिलाफ NBW (वारंट) जारी किया था। जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया।
मोहर्रम के जुलूस में छेड़खानी के बाद दूसरे गुट के युवक की हत्या हुई
25 जनवरी 2007, जगह- गोरखपुर के कोतवाली का बक्शीपुर। मोहर्रम के जुलूस में छेड़खानी की बात पर दो गुटों में विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि चाकू निकल आया और एक युवक पर उसी चाकू से हमला हो गया। अगले दिन घायल व्यक्ति की मौत हो गई। हत्या का आरोप एक गुट के दो लड़कों पर था। उनमें एक गिरफ्तार हुआ आरोपी शमीम भी है।
इलाके में दूसरा गुट एकजुट होने लगा। पुलिस ने दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया और सरकारी जीप में बैठाकर थाने ले जाने लगी। इतने में दूसरे गुट वालों ने पुलिस की जीप से निकालकर आरोपियों पर तलवार से हमला कर दिया। इसमें दूसरे गुट के एक शख्स राजकुमार अग्रहरी की हत्या कर दी। यहां से स्थिति बदल गई और पूरे इलाके में दंगे शुरू हो गए।
गोरखपुर में नहीं थे योगी
उस समय के सांसद और वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में नहीं थे। वे कुशीनगर गए थे। वहीं से उन्होंने गोलघर के चेतना तिराहे पर धरना और जनसभा का आह्वान कर दिया। योगी के आह्वान पर उनके सिपेहसालार और पहली बार विधायक चुने गए डॉ राधामोहन दास अग्रवाल, तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी, तत्कालीन हिंदु युवा वाहिनी के अध्यक्ष सुनील सिंह के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन और भाषणबाजी शुरू हो गई।
कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ भी आने वाले थे। वे कुशीनगर के लिए चल दिए। जिसके बाद उस समय के सूबे के मुखिया मुलायम सिंह यादव के निर्देश पर योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार करने का निर्देश आया।
फरवरी 2018 में हाईकोर्ट से मिली राहत
योगी आदित्यनाथ को इलाहाबाद हाईकोर्ट से 22 फरवरी 2018 को बड़ी राहत मिली। अदालत ने गोरखपुर के 2007 दंगों के मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ के कथित भड़काऊ बयान की जांच की मांग से जुड़ी याचिका को ठुकरा दिया। जस्टिस कृष्णा मुरारी और एसी शर्मा की डिवीजन बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि अदालत ने पुलिस की जांच में कोई खामी नहीं पाई है। याचिका को नवबंर 2008 में मोहम्मद असद हयात और परवेज नाम के शख्स ने दायर किया था। याचिका में योगी आदित्यनाथ को भड़काऊ भाषण देने का जिम्मेदार ठहराया गया था।