लखनऊ। भगवान श्रीकृष्ण जो लीलाओं के लिए अपने भक्तों के मन में बसे हुए हैं। उन्हीं कृष्ण के बारे में लोग तमाम प्रकार की बातों को फैलाकर दुस्प्रचार करते हैं। उन्हीं बातों को हमारे देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और सनातन धर्म के प्रचार प्रमुख डाॅ.विपुल सेन ने अपनी भाषा में बताते हुए भ्रम को दूर किया है। डाॅ.सेन ने बताया है कि कुछ अज्ञानी और मूर्ख लोग भगवान श्रीकृष्ण को रासलीला रचाने वाले कहकर उनके रचित्र का मजाग उड़ाते हैं वह नहीं जाते कि रास लीला का असली अर्थ क्या है। उन्होंने कहा है कि रास एक अध्यात्मिक शब्द है जो ईश्वर की भक्ति का रस है। वह उन्हीं लोगों को मिलता है जो ईश्वर की भक्ति में डूब जाते हैं। उसके बाद ही उन्हें इस रस की प्राप्ति होती है। रस को प्राप्त करना इतना आसान नहीं होता इसके लिए ईश्वर को जानना और समझना जरूरी है। प्रभु की भक्ति के बाद जो रस मन में प्राप्त होता है उसे ही असली रस कहते हैं। प्रभु की भक्ति एक योग है जो सबके बस की बात नहीं हैं। इसलिए प्रभु श्रीकृष्ण के बारे में ऐसी बातों को कहना उचित नहीं है कि वह रास लीला करते थे। यह पूरी तरह से असत्य और भ्रम फैलाने वाली बात है।
इसके साथ ही जो लोग यह कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण स्नान करते हुए स्त्रियों के कपड़े चुना लेते थे। ये बात भी पूरी तरह से भ्रम फैलाने वाली ही क्योंकि प्रभु को ऐसा करने की कोई भी आवश्यता नहीं है प्रभु को सब जगह विराजमान हैं उनको किसी के कपड़े चुराने की कोई आवश्यकता नहीं है। भगवान श्रीकृष्ण जब 8 वर्ष के थे तो ऐसा करते थे उस समय वह अबोध बालक की तरह थे। उस उम्र में गोपियों के कपड़े चुनाने का उनका उद्देश्य सिर्फ था कि वह उन गोपियों को सीख देना चाहते थे कि जब भी स्नान किया जाए कपड़े उतार कर न किया जाए बल्कि पहन कर किया जाए।
इसके साथ ही भगवान श्रीकृष्ण के बारे में लोग कहते हैं कि उनकी 16 हजार के ज्यादा पत्नियां थी पर इसके पीछे की कहानी कोई भी नहीं बताता। बात उस समय की है जब जरासंघ नाम का राक्षस था जिसने श्रीकृष्ण पर कई बार आक्रमण करने की कोशिश की पर हर बार भगवान श्रीकृष्ण जरासंघ को छोड़ दिया करते थे। एक बार बलराम ने पूछा कि भाई आप ऐसा क्यों करते है उसे हर बार छोड़ क्यों देते हैं तो प्रभु श्रीकृष्ण ने जवाब दिया कि मैं ऐसा इसलिए करता हू कि जरासंघ हर बार मुझे मारने के लिए अनेकों राक्षकों और बुरे लोगों को खोज कर लाता है मैं उनका तो संघार तो कर लेता हू पर जरासंध को छोड़ देता हू। पर जब जरासंघ का पाप का घड़ा भर गया तो भगवान श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया। उसके बाद जरासंध की कैद में 16 हजार स्त्रियों को सम्मान से जीवन जीने के लिए भगवान से यह कि घोषणा की वह सभी उनकी पत्नियां मानी जायेंगी। ऐसे हैं हमारे श्रीकृष्ण भगवान जिनकी लीलाओं से सिर्फ मनुष्यों के जीवन उत्थान के लिए ही ये सब किया। पर अज्ञानी लोग श्री कृष्ण भगवान की ऐसी ही लीलाओं का गलत दुस्प्रचार करते हैं।
डाॅ.विपुल सेन, प्रसिद्ध वैज्ञानिक और सनातन धर्म प्रचार के प्रमुख हैं।