क्रिकेट से अंतरिक्ष तक इतिहास रचने वाली ये हैं दिसंबर की सुपर वुमन

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(www.arya-tv.com) 

अभिषेक राय

दिसंबर आमतौर पर आत्ममंथन का महीना होता है। साल भर की थकान, रिश्तों की औपचारिकताएं और काम की दौड़ के बीच किसी तरह अपने लक्ष्य तक पहुंचना। लेकिन इस बार दिसंबर सिर्फ साल का अंत नहीं, बल्कि हौसले की नई शुरुआत का प्रतीक भी बना। इस महीने कुछ महिलाओं ने ऐसा कर दिखाया, जिसने यह साबित कर दिया कि सीमाएं बनाई जाती हैं, तोड़ी जाने के लिए। कोई मैदान में रिकॉर्ड बना रही थी, कोई सेना की परंपराओं को बदल रही थी, कोई अंतरिक्ष की दहलीज लांघ रही थी और कोई 14 हजार फीट की ऊंचाई पर बाइक दौड़ा रही थी। ये हैं दिसंबर की दमदार और बिंदास महिलाएं, जिन्होंने राष्ट्रीय औऱ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतिहास रच दिया।

स्मृति मंधाना
ये साल 225 क्रिकेट में इतिहास रचती भारतीय बेटियों के नाम रहा। इसमें एक नाम भारतीय महिला क्रिकेट की स्टार स्मृति मंधाना का है, जिन्होंने 22 दिसंबर को श्रीलंका के खिलाफ मैच में 4000 T20 इंटरनेशनल रन पूरे कर इतिहास रच दिया। 29 साल की स्मृति अब तीनों फॉर्मेट मिलाकर 10,000 रन पूरे करने से महज 42 रन दूर हैं। यह उपलब्धि बताती है कि भारतीय महिलाएं अब मैदान में सिर्फ हिस्सा नहीं ले रहीं, बल्कि रिकॉर्ड लिख रही हैं।

साई जाधव
साई जाधव 93 साल की परंपरा तोड़ने वाली अफसर हैं। 23 वर्षीय साई जाधव ने भारतीय सैन्य इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया। वे इंडियन मिलिट्री अकादमी (IMA) से ट्रेनिंग पूरी करने वाली पहली महिला टेरिटोरियल आर्मी अधिकारी बनीं। पासिंग आउट परेड में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन पाकर उन्होंने 93 साल पुरानी परंपरा तोड़ दी। यह सिर्फ व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि संस्थागत बदलाव का संकेत है।

माइकेला बेंटहाउस
माइकेला बेंटहाउस ने व्हीलचेयर से अंतरिक्ष तक का सफर तय किया। जर्मन एयरोस्पेस इंजीनियर माइकेला बेंटहाउस ने 20 दिसंबर को ब्लू ओरिजिन के न्यू शेपर्ड मिशन के जरिए अंतरिक्ष की यात्रा कर इतिहास रच दिया। वे स्पेस में जाने वाली पहली व्हीलचेयर यूजर बनीं और कार्मन लाइन पार की। यह उपलब्धि बताती है कि अब अंतरिक्ष भी केवल परफेक्ट बॉडी वालों की जगह नहीं रहा।

ज्योति याराजी
विशाखापट्टनम की ज्योति याराजी ने एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप (दक्षिण कोरिया) में 100 मीटर हर्डल्स को 12.96 सेकेंड में पूरा कर चैंपियनशिप रिकॉर्ड तोड़ दिया। बारिश से भीगे ट्रैक पर जीत दर्ज कर उन्होंने दिखा दिया कि हालात मुश्किल हों, तब भी हौसला तेज दौड़ सकता है।

CRF वुमेन आन व्हील्स
बेंगलुरु की CRF Women on Wheels बाइकिंग टीम ने नाथूला पास (भारत-चीन सीमा) को पार कर इतिहास रच दिया। इस टीम में बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल थीं, जिन्होंने सिक्किम, नेपाल और भूटान से होकर हजारों किलोमीटर की यात्रा पूरी की। यह साबित करता है कि उम्र सिर्फ संख्या है, हौसले की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती।