लखनऊ में दफन हैं 4 प्रमुख ब्रिटिश जनरल, अंग्रेज आते हैं कब्र को खोजने, बेहद दिलचस्प है कहानी

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(www.arya-tv.com) लखनऊः विदेशों से हर साल बड़ी संख्या में अंग्रेज लखनऊ में नवाबों की बनाई हुई इमारतें देखने नहीं आते हैं, बल्कि वे आते हैं अपने पूर्वजों की कब्रों पर श्रद्धांजलि देने, कब्रों को खोजने और उन्हें देखने. जिसे देश के जाने-माने इतिहासकार डॉ. रवि भट्ट ‘इमोशनल टूरिज्म’ कहते हैं.

डॉ रवि भट्ट ने बताया कि 1857 का पहला स्वतंत्रता संग्राम का जो केंद्र रहा वो लखनऊ ही था क्योंकि यहां की रेजीडेंसी में 5 महीने तक भारतीय क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को कैद कर रखा था. उनकी घेराबंदी कर दी थी. बड़ी लड़ाई यहां लड़ी गई थी. यही वजह है कि यहां पर चार प्रमुख ब्रिटिश जनरल को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. इन चारों प्रमुख जनरल के नाम पर अंग्रेजों ने अंडमान निकोबार के द्वीपों का नाम तक रखा था. इन चारों प्रमुख जनरलों की कब्रें लखनऊ में है.

ये हैं वो चार प्रमुख जनरल
मेजर विलियम हडसन : इतिहासकार डॉ. रवि भट्ट ने बताया कि यह वही विलियम हडसन था जिसने मुगलों के आखिरी बादशाह बहादुर शाह जफर के दो लड़कों और उनके पोते को अपनी हिरासत में लेकर उन्हें गोली से उड़ा दिया था और इसके बाद उन्हें खूनी दरवाजे पर लटका दिया था. इतने क्रूर जनरल को भी 11 मार्च 1857 में लखनऊ में भारतीय क्रांतिकारियों ने मौत के घाट उतार दिया था. इसे मारा गया था लखनऊ के हजरतगंज में जनपथ मार्केट के पास. इसकी कब्र आज भी लखनऊ शहर के मशहूर ला मार्टिनियर स्कूल के परिसर में है.

जेम्स जॉर्ज स्मिथ नील : यह बेहद क्रूर जनरल था. यह इलाहाबाद से जब लखनऊ आया तो इसने अपनी पूरी सेना को यह आदेश दिया था कि जो भी भारतीय उन्हें मिले उनको पकड़ के सीधा फांसी दे दी जाए. यही नहीं इसी में भारतीयों को तोप पर बांधकर उड़ाने की परंपरा शुरू की थी. इसे भी लखनऊ की जमीन पर ही भारतीय क्रांतिकारियों ने 25 सितंबर 1857 को मार दिया था. इसकी कब्र रेजीडेंसी में है.

हेनरी लॉरेंस : भारतीय क्रांतिकारियों ने जब रेजीडेंसी का घेराव किया उस वक्त हेनरी लॉरेंस कई अंग्रेजों के साथ रेजीडेंसी के अंदर ही था. भारतीय क्रांतिकारियों ने जब गोला बरसाया रेजीडेंसी में तो उसी में हेनरी लॉरेंस घायल हो गया था. भारतीय क्रांतिकारियों ने दवा और खाना पीना सब कुछ बाहर से रोक दिया था इसलिए इसे इलाज नहीं मिल पाया. दो जुलाई 1857 को वह घायल हुआ था और 4 जुलाई 1857 को इसने दम तोड़ दिया था. हेनरी लॉरेंस की कब्र रेजीडेंसी के अंदर ही बनी हुई है.

मेजर-जनरल सर हेनरी हैवलॉक : यह भी बाहर से ही आया था. काफी ताकतवर था और इसे भी भारतीय क्रांतिकारियों ने 1857 की क्रांति में मार गिराया था. इसकी कब्र आज भी आलमबाग के चंदन नगर के अंदर बनी हुई है.