TTD के पूर्व अध्यक्ष पहुंचे तिरुपति बालाजी मंदिर ,राजनीतिक बयान के कारण पुलिस को लेना पड़ा एक्शन

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(www.arya-tv.com) विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट का मामला अभी भी शांत नहीं हुआ है। इस बीच तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के पूर्व अध्यक्ष और YSRCP नेता बी. करुणाकर रेड्डी ने अपनी बेगुनाही की पुष्टि के लिए सार्वजनिक शपथ भी ली। उन्होंने श्रीवारी पुष्करणी में स्नान किया और फिर आरती के दौरान शपथ ली। हालांकि इस दौरान उन्होंने जैसे ही राजनीतिक बयान देना शुरू किया तभी पुलिस ने उनके साथ ही आरती छीन ली और उन्हें दूर लेकर चली गई। बाद में उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया गया।

दरअसल, तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसादम में मिलावट को लेकर उठे विवाद के बीच, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के पूर्व अध्यक्ष और YSRCP नेता बी. करुणाकर रेड्डी ने सोमवार को अपनी बेगुनाही की पुष्टि करने के लिए सार्वजनिक शपथ ली। उन्होंने श्रीवारी पुष्करणी में स्नान किया। इसके बाद वह मंदिर परिसर में पहुंचे और हाथ में कपूर की आरती पकड़कर काफी भावुक दिखे। इस दौरान करुणाकर रेड्डी ने मुख्य मंदिर परिसर के सामने खड़े होकर शपथ ली।

बी. करुणाकर रेड्डी ने भगवान का आह्वान करते हुए कहा, “हालांकि इस मंदिर में राजनीतिक बयान देना सख्त वर्जित है, लेकिन मेरे पास इस तरीके से अपना बचाव करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। अपने कार्यकाल में मैंने कभी भी धोखाधड़ी वाले काम नहीं किए। ये आरोप दुर्भावनापूर्ण और राजनीति से प्रेरित हैं, जिनका उद्देश्य वाईएसआरसीपी की छवि को धूमिल करना और जनता की भावनाओं को भड़काना है। हताशा के कारण मैं ऐसा कदम उठा रहा हूं, अगर मैं किसी भी गलत काम का दोषी पाया गया तो मैं किसी भी सजा का सामना करने के लिए तैयार हूं। हे भगवान मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि अगर मैंने कोई पाप किया है तो मुझे या मेरे परिवार को न बख्शें।”

राजनीतिक बयान की वजह से केस दर्ज
वहीं शपथ के दौरान जैसे ही करुणाकर रेड्डी ने राजनीतिक बयान दिया, तभी पुलिसकर्मियों ने उनके हाथों से कपूर की आरती छीन ली। इसके बाद उन्हें दूर ले जाया गया। पुलिस ने बी. करुणाकर रेड्डी और अन्य के खिलाफ BNS की धारा 189(2), 196, और 223 के तहत मामला दर्ज किया है। बता दें कि इससे पहले दिन में पुलिस ने जीएनसी टोलगेट पर पहुंचने पर बी करुणाकर रेड्डी को धारा 41 के तहत एक नोटिस दिया था, जिसमें उन्हें मंदिर परिसर में किसी भी तरह की राजनीतिक गतिविधि में शामिल न होने की चेतावनी दी गई थी।