कानपुर-उन्नाव के 70 गांवों में बाढ़ से बिगड़े हालात:खाने को कुछ नहीं

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(www.arya-tv.com) कानपुर के गंगा किनारे स्थित भोपाल पुरवा गांव में लोगों के घर और खेती दोनों ही बाढ़ में डूब गए हैं। गांव में नावें चल रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। वर्ष-2010 में ऐसी बाढ़ देखने को मिली थी। भैंसों और जानवरों को चारा खिलाने तक नहीं बचा है। कानपुर के 22 और शुक्लागंज-उन्नाव के 50 से अधिक गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। पहले भारतपुरवा का जानते हैं। यहां के रवि कुमार निषाद का कहना है कि गांव में बाढ़ से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। गांव से पलायन कर रोड पर आ गए हैं। रवि ने बताया कि यहां पानी पीने तक की व्यवस्था नहीं है। लाइट तक नहीं है। हरी सब्जियों की फसल पूरी तरह खत्म हो गई है। पशुओं के लिए हरा चारा तक नहीं बचा है। लेखपाल आते हैं और देखकर चले जाते हैं। प्रधान तक नहीं आए।

भारतपुरवा गांव के निवासी गया प्रसाद ने बताया कि गांव में बाढ़ का पानी घुसता जा रहा है। धंधा-पानी पूरी तरह डूब गया है। राहत शिविरों के बारे में किसी ने कोई जानकारी नहीं दी है। इसलिए रोड किनारे रहने को मजबूर हैं। सब  अपने स्तर से ही झुग्गी बनाए हैं।

यहीं हाल बिठूर के इसजा गांव निवासी रामकेश ने भी बताया। उन्होंने कहा कि उनके गांव में पानी नहीं पहुंचा है। लेकिन, गांव चारों तरफ से पानी से घिर चुका है। अगर पानी चढ़ता गया तो हम लोगों को भी झुग्गी बनाकर रोड पर रहना पड़ेगा। पूरी रात जाग-जागकर कट रही है। फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि राहत शिविरों की जानकारी न होने के चलते वे मुख्य मार्गों पर आ गए हैं। लोग यहां अपने-अपने तिरपाल डालकर रहने को मजबूर हैं। अपने जानवरों को भी यहीं पर बांधे हैं। खुले में रात बिताने को मजबूर हैं। इसके साथ ही मुख्य मार्ग में तेज रफ्तार वाहनों की चाल से भी डर जा रहे हैं।

भारतपुरवा और इसजा गांव के रास्ते तक जलमग्न हैं। यहां पास ही स्थित स्कूल में 2 फीट तक पानी चढ़ गया है। हालांकि अभी यहां लोग बाइक से आ-जा रहे हैं। लोग गांव खाली कर सड़कों तक पहुंच गए हैं। जानवरों को भी मुख्य मार्ग पर बांध दिया है।यहां पानी पीने तक की व्यवस्था नहीं है। लाइट तक नहीं है। फसल पूरी तरह खत्म हो गई है।