(www.arya-tv.com) ‘CID’, ‘प्यासा’, ‘कागज के फूल’, ‘नीलकमल’ जैसी बेहतरीन फिल्मों से अभिनय की गहरी छाप छोड़ने वालीं वहीदा रहमान आज 85 साल की हो गई हैं। वहीदा कभी हीरोइन बनना नहीं चाहती थीं, लेकिन मजबूरी इन्हें फिल्मी दुनिया तक ले आई। वहीदा डॉक्टर बनना चाहती थीं, लेकिन 13 साल की उम्र में ही पिता की मौत हो गई और डॉक्टर बनने का सपना उन्हें छोड़ना पड़ा।
पिता के गुजरने के बाद भरतनाट्यम् में महारत हासिल कर चुकीं वहीदा को तेलुगु फिल्मों में काम मिला, जहां से उनकी किस्मत ने हिंदी सिनेमा के रास्ते खोले। मजबूरी में फिल्मों में आईं वहीदा हमेशा से ही अपने उसूलों की पक्की रहीं। जहां इंडस्ट्री में काम पाने के लिए लोग हर शर्त मानने, अपना नाम और पहचान बदलने के लिए आसानी से राजी हो जाते थे, उस समय वहीदा ने गुरु दत्त जैसे बड़े डायरेक्टर के खिलाफ जाकर अपनी शर्तें रखीं।
महज 17 साल की उम्र में एक्टिंग करियर शुरू करने वाली वहीदा अपनी सादगी से लोगों के जेहन में घर कर लेती थीं। करीब 67 सालों के एक्टिंग करियर में वहीदा ने गुरु दत्त, सत्यजीत रे और बासु चटर्जी जैसे फिल्ममेकर्स के साथ काम किया। कभी चौदहवीं का चांद की जमीला बनीं तो कभी प्यासा की गुलाबो बनकर लोगों के दिलों पर राज किया। वहीदा के जन्मदिन के खास मौके पर इस शनिवार अनसुनी दास्तान में पढ़िए उनकी जिंदगी की कहानी…
गुरु जी ने कुंडली देख कर सिखाया भरतनाट्यम्
वहीदा का जन्म 14 मई 1938 को तमिलनाडु के चेंगलपट्टू में जिला कमिश्नर अब्दुर रहमान के घर में हुआ। वहीदा चार बहनों में सबसे छोटी थीं। वहीदा जब भरतनाट्यम सीखने गुरुजी के पास पहुंचीं तो उन्होंने मुस्लिम वहीदा को सिखाने से इनकार कर दिया। गुरुजी ने कहा, अगर डांस सीखना है तो कुंडली लेकर आओ, लेकिन वहीदा के पास कुंडली नहीं थी। वहीदा ने जिद पकड़ी तो खुद गुरुजी ने खुद कुंडली बना दी। कुंडली देखकर वो हैरान रह गए और कहा, ‘तुम मेरी आखिरी और सबसे बेहतरीन स्टूडेंट बनोगी।’
महज 13 साल की उम्र में उठा पिता का साया
1951 में 13 साल की उम्र में वहीदा ने अपने पिता को खो दिया। वहीं मां ज्यादातर बीमार रहने लगीं। वहीदा डॉक्टर बनना चाहती थीं, लेकिन पिता का साया उठने के बाद उन्हें अपना सपना छोड़कर घर की आर्थिक स्थिति पर ध्यान देना पड़ा। भरतनाट्यम के हुनर के चलते वहीदा को रीजनल फिल्मों में छोटे-मोटे काम मिलने लगे। पहली बार वहीदा 1955 की तेलुगु फिल्म रोजुलु मरायी के गाने में आइटम नंबर में दिखी थीं। इसके बाद इन्हें चंद और तेलुगु फिल्मों में अभिनय करने का मौका मिला।
गुरु दत्त की एक नजर पड़ते ही बन गईं स्टार
वहीदा की पहली फिल्म रोजुलु मरायी का प्रीमियर हैदराबाद में हुआ था, जहां हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के नामी फिल्ममेकर गुरु दत्त भी मौजूद थे। फिल्म में वहीदा के काम से इम्प्रेस होकर गुरु दत्त ने उन्हें मुंबई आने का ऑफर दिया। वहीदा मुंबई पहुंचीं तो उन्हें गुरु दत्त के चीफ असिस्टेंट राज खोसला की फिल्म CID में लीड रोल मिल गया। फिल्म में देव आनंद लीड रोल में थे, जो उस समय के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में से एक माने जाते थे।
डायरेक्टर ने कहा- आपका नाम सेक्सी नहीं है, बदल दो
गुरु दत्त और राज खोसला चाहते थे कि फिल्मों में आने पहले वहीदा अपना नाम बदल लें। दोनों ने मीना कुमारी, दिलीप कुमार और मधुबाला का उदाहरण देते हुए कहा था कि वहीदा नाम सेक्सी नहीं है। दोनों ने शर्त रखी कि फिल्म में काम करने के लिए तुम्हें नाम बदलना पड़ेगा, लेकिन वहीदा ने इससे साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ये नाम मुझे मेरे पेरेंट्स ने दिया है और मैं इसी के साथ पहचान बनाऊंगी।