फेसबुक का दोहरा चरित्र:फेसबुक ने 25 देशों में अपने प्लेटफाॅर्म के सियासी दुरुपयोग की छूट दी

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(www.arya-tv.com)डेटा लीक और जासूसी करने जैसे गंभीर आरोप का सामना कर रही फेसबुक अब सियासी हस्तक्षेप को लेकर कठघरे में आ गई है। अब उस पर यह आरोप लगा है कि उसने दुनियाभर में अपने प्लेटफाॅर्म के जरिए सियासी हस्तक्षेप को न केवल बढ़ावा दिया बल्कि अपने प्लेटफाॅर्म के जरिए उन्हें समर्थन भी दिया है।

ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक ने 25 से अधिक देशों में न सिर्फ नेताओं को अपने विरोधियों को परेशान करने के लिए बल्कि जनता को भी बरगलाने के लिए अपने प्लेटफार्म का दुरुपयोग करने की खुली छूट दी। गार्जियन ने इस बात का खुलासा फेसबुक की पूर्व डेटा साइंटिस्ट सोफी झांग के हवाले से किया, जिसे कंपनी ने सितंबर 2020 में खराब प्रदर्शन के बहाने निकाल दिया था। झांग को जनवरी 2018 में फेक इंगेजमेंट को रोकने के लिए नियुक्त किया गया था। झांग ने बताया कि फेसबुक ने किस तरह अमेरिका या अन्य संपन्न देशों को प्रभावित करने के लिए गरीब, छोटे और गैर-पश्चिमी देशों को अपने प्लेटफार्म के दुरुपयोग की मंजूरी दी। कंपनी ने अमेरिका, ताइवान, दक्षिण कोरिया और पोलैंड जैसे देशों में राजनीतिक हस्तक्षेप करने वाले मुद्दों पर तत्परता दिखाई जबकि अफगानिस्तान, इराक और मंगोलिया या फिर मैक्सिको, लेटिन अमेरिका के देशों के मामलों में बिल्कुल भी हस्तक्षेप नहीं किया। शेष | पेज 8 पर

झांग ने बताया कि कार्य के दौरान उसने पाया कि बड़ी संख्या में झूठे दावे निजी रूप से, बिजनेस हाउस और ब्रांड्स द्वारा किए जा रहे हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल राजनीतिक निशाना बनाने के लिए भी किया जा रहा है। उन्होंने सेंट्रल अमेरिकी देश होंडुरास का हवाला देते हुए बताया कि यहां के राष्ट्रपति जुआन अर्नाल्डो हर्नांडेज ने 2018 में अपने समर्थन में 90 फीसदी से ज्यादा फेक इंगेजमेंट अपने ही दफ्तर से पोस्ट करवाए थे। उनका पूरा दफ्तर फेक लाइक्स और कमेंट्स में जुटा था। इसकी संख्या लाखों में थी। जब उन्होंने इसकी शिकायत की तब भी फेसबुक ने कोई कार्रवाई नहीं की।

सोफी बोलीं- खुलासे का बाकी देशों पर भी असर होगा, जागरूकता आएगी

फेसबुक पर सियासी दखलंदाजी का आरोप लगाने वाली सोफी झांग ने विदाई के अंतिम दिन 7,800 शब्दों का एक कड़ा पत्र लिखा। कहा कि उनके इस खुलासे से दुनिया के बाकी देशों में भी असर होगा और लोग ज्यादा जागरूक होंगे, क्योंकि कंपनी इस मामले में कोई संज्ञान नहीं ले रही। उन्होंने 2016 के अमेरिकी चुनाव का भी जिक्र किया, जिसमें वोटरों को बांटने के लिए फेसबुक के खिलाफ कई तरह के जोड़तोड़ के सबूत भी दिए गए थे। उधर, फेसबुक के प्रवक्ता लिज बर्जुओइस ने इस आरोप को बेबुनियाद करार दिया।