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तुलसीपुर (Tulsipur) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उस ज़िले में एक तहसील का दर्जा भी रखता है। और इस नगर में भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक देवीपाटन शक्तिपीठ भी स्थित है यहां पर लोग देश विदेश से दर्शन करने के लिए भारी संख्या में आते हैं और यहां पर चैत माह में राज्य स्तरीय मेला भी लगता हैउत्तर-प्रदेश के जनपद बलरामपुर (नेपाल की सीमा से मिला हुआ) की तहसील तुलसीपुर नगर से 1.5 कि॰मी॰ की दूरी पर सिरिया नाले के पूर्वी तट पर स्थित सुप्रसिद्ध सिद्ध शक्तिपीठ मां पाटेश्वरी का मंदिर देवी पाठन है, जो देशभर में फैलते 51 शक्तिपीठों में मुख्य स्थान रखता है। यह शिव और सती के प्रेम का प्रतीक स्वरूप है। अपने पिता प्रजापति दक्ष के यज्ञ में अपने पति महादेव का स्थान न देखकर नाराज सती ने अपमान से क्रोधित होकर अपने प्राण त्याग दिये। इस घटना से क्षुब्ध होकर शिव दक्ष-यज्ञ को नष्ट कर सती के शव को अपने कंधे पर रखकर तीनों लोक में घूमने लगे, तो संसार-चक्र में व्यवधान उत्पन्न हो गया। तब विष्णु ने सती-शव के विभिन्न अंगों को सुदर्शन-चक्र से काट-काटकर भारत के भिन्न-भिन्न स्थानों पर गिरा दिया। पृथ्वी पर जहाँ-जहाँ सती के शव के अंग गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ स्थापित हुए। सती का वाम स्कन्ध पाटम्बर अंग यहाँ आकर गिरा था, इसलिए यह स्थान देवी पाटन के नाम से प्रसिद्ध है। यहीं भगवान शिव की आज्ञा से महायोगी गुरु गोरखनाथ ने सर्वप्रथम देवी की पूजा-अर्चना के लिए एक मठ का निर्माण कराकर स्वयं लम्बे समय तक जगजननी की पूजा करते हुए साधनारत रहे। इस प्रकार यह स्थान सिद्ध शक्तिपीठ के साथ-साथ योगपीठ भी है।