- आर्यकुल कालेज में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ हैण्ड मेड राखियों की प्रदर्शनी लगी
- अपरिमिता और सुचिता दो सगी बहनों का कमाल, मेहनत से तैयार की मंहगे दामों की सस्ती राखियां
(www.arya-tv.com)बिजनौर स्थित आर्यकुल ग्रुप ऑफ़ कॉलेज में सोशल डिस्टेंशिंग को ध्यान में रखते हुए कतरन का इस्तेमाल करते हुए हैण्ड मेड राखियों की प्रदर्शनी लगाई गयी। ये हैण्ड मेड राखियां अपरिमिता सिंह और सुचिता सिंह द्वारा बनाई गयी है इन हैण्ड मेड राखियों में कपड़े की कतरन और रेशम के धागों का इस्तेमाल किया गया।
जब अपरिमिता और सुचिता से पूछा गया कि उन्हें कतरन से राखियां बनाने का ख्याल कहा से आया तो उन्होंने कहा कि कतरन कपड़े का एक अहम हिस्सा होता है जैसे हमारे रिश्ते। इसलिए हमने इन कतरनों के इस्तेमाल से राखिया बनाकर उन्हें एक नया प्रारूप दिया। इतना ही नहीं उन्होंने मिरर वर्क , हैण्ड मेड पेंटिंग , रेशम के कपड़ों से लूंबा भी बनाया है।

- आर्यकुल ग्रुप ऑफ़ कॉलेज में लगी प्रदर्शनी
बी.फार्मा, डी.फार्मा, एम.फार्मा, बी.काम, एम.काम ,पत्रकारिता में बी.ए., एम.ए., बी.एड, बीटीसी आदि कोर्सों को अपने लखनऊ, सीतापुर, रायबरेली से संचालित करने वाले आर्यकुल कालेज में दो सगी बहनों अपरिमिता और सुचिता द्वारा 500 राखियों की प्रदर्शनी लगायी गयी। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन कालेज के प्रबंध निदेशक सशक्त सिंह ने फीता काट कर किया।
- कौन हैं अपरिमिता और सुचिता
सुचिता पेशे से एक आर्टिस्ट हैं और लविवि से इसी क्षेत्र में यूजी कोर्स कर रही हैं। बचपन से ही अपने दादा आर्यकुल के संस्थापक बाबू के.जी.सिंह के नक्शे कदम चलने वाली अपरिमिता शुरू से ही कला और आर्ट के क्षेत्र में अन्त:ज्ञान प्राप्त है। इसी ज्ञान के बल पर अपरिमिता ने कई ऐसी पेंटिंग बनायी है जिसकी मांग बाजारों में भी है। वहीं अपरिमिता ने अभी—अभी इण्टर की परीक्षा में 96 प्रतिशत प्राप्त कर प्रदेश का गौरव बढ़ाया और आगे चलकर वह भी इसी क्षेत्र में अपना भविष्य बनाया चाहती हैं। दोनों बहनों में अच्छी दोस्ती है। इसी सोच के साथ सगी बहनों ने कोरोना काल में हैण्ड मेड राखी बनाने की सोची और जयपुर से लाये सामान से 500 राखियों को तैयार किया। जिसकी सराहना जितनी भी की जाए कम है।
- दोनों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं मम्मी जी
अपरिमिता और सुचिता अपने मम्मी हितैशी सिंह को अपना प्रथप्रदर्शक मानती हैं और अपने मम्मी से ही प्रेरणा लेकर कुछ ऐसा करना चाहती हैं जो कुछ अलग हो। इसके साथ मम्मी भी अपनी दोनों बेटियों के प्रति एक शिक्षक की तरह हैं जो हमेशा से इन दोनों को कुछ अलग करने की प्रेरणा देती रहती हैं। मम्मी ने वार्ता में बताया कि दोनों बच्चे बचपन से ही टैलेंटड हैं और कला के क्षेत्र में बहुत ही आगे हैं।
- सस्ते दामों में मिली राखियां
प्रदर्शनी में बेची जाने वाली राखियों में एक सबसे बड़ी खास बात यह थी कि जहां बाजार में मिलने वाली राखियां बहुत ही मंहगी होती हैं वही इन हैण्ड मेड राखियों का बाजार में बहुत ही ज्यादा दाम होता है पर प्रदर्शनी में लगने वाली राखियों के दाम बहुत ही कम थे जिसमें 10 रूपये से लेकर 90 तक की राखियां शामिल रही। स्टाफ के सभी सदस्यों द्वारा इन राखियों को खरीदा गया है।