लखनऊ विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज़, फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी द्वारा “स्तन कैंसर जागरूकता” पर विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की थीम थी “हर कहानी है विशेष, हर सफर है महत्वपूर्ण”, जिसमें बड़ी संख्या में छात्रों, शिक्षकों और शोधार्थियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में केजीएमयू के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के प्रो. आनंद मिश्रा ने बताया कि शीघ्र जांच बीमारी के प्रभावी इलाज के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नियमित व्यायाम, संतुलित खानपान और तनावमुक्त जीवनशैली अपनाकर कैंसर से बचाव किया जा सकता है।
विशेषज्ञों ने बताया कि पुरुषों में मुंह का कैंसर और स्त्रियों में स्तन कैंसर सबसे अधिक पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि दर्द प्रायः एडवांस्ड स्टेज में होता है, जबकि प्रारंभिक लक्षणों में सूजन, लाल चकत्ते, स्राव और स्तन के आकार में अनियमितता शामिल हैं। अधिक दिनों तक अनदेखा रहने पर यह मेटास्टैटिक कैंसर का रूप ले सकता है। इससे बचाव के लिए स्वस्थ व्यक्तियों को भी माह में एक बार स्वयं जांच करनी चाहिए। इसकी जांच तीन तरीकों से की जा सकती है — स्वयं परीक्षण, अल्ट्रासाउंड, बायोप्सी और मैमोग्राफी।
समय पर परीक्षण है जरूरी
केजीएमयू के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. कुल रंजन सिंह ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को कैंसर होने का खतरा रहता है। इसलिए आखिरी चरण के महंगे इलाज से बचने के लिए समय पर परीक्षण कराना बेहद जरूरी है।
