(AryaNews:Lucknow)roshni yadav
यह बात सच है कि आज एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति का महत्व काफी बढ़ गया है, लेकिन कई रोग ऐसे हैं, जिनका संपूर्ण समाधान आज भी एलोपैथिक में नहीं है। ऐसे में प्राचीन यूनानी चिकित्सा पद्धति की अहमियत आज भी बरकरार है। जिस रोग का इलाज एलोपैथिक में नहीं हो पाता, उसका इलाज यूनानी चिकित्सा पद्धति से किया जा सकता है यही कारण है कि यूनानी चिकित्सकों की मांग आज भी बढ़ रही है। यूनानी चिकित्सा पद्धति को भारत में लोकप्रिय बनाने का श्रेय हकीम अजमल खान को जाता है। यूनानी चिकित्सक बनने के लिए, छात्र छात्राओं को फिजिक्स केमेस्ट्री और बायोलॉजी से 50 प्रतिशत अंकों के साथ 10+2 परीक्षा में पास होना जरूरी है। इस क्षेत्र में चिकित्सक बनने के लिए बीयूएमएस की डिग्री काफी है। ब्रजमंडल के युवाओं के लिए यह खुशखबरी है कि वे मथुरा में संचालित संस्कृति यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी (बीयूएमएस) की डिग्री हासिल कर सपनों को पूरा कर सकते हैं।
बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी (बीयूएमएस) की डिग्री हासिल करने के बाद युवाओं के पास न केवल भारत में जॉब के अवसर होते हैं बल्कि इस छेत्र में निपुण युवा विदेशों में भी करियर संवार सकते हैं।
बीयूएमएस डिग्री आपको यूनानी व्यवसायी, एक चिकित्सकीय प्रतिनिधि, निजी या सरकारी अस्पताल में डॉक्टर के रूप में करियर का सुनहरा अवसर देती है। इस क्षेत्र में प्रवेश लेने के बाद पेशेवर यूनानी दवा निर्माता कम्पनियों में भी स्वतंत्र रूप से काम कर सकते है बीयूएमएस डिग्री पूरा होने के बाद यूनानी कॉलेजों में प्रोफेसर या शोधकर्ता के रूप में भी नौकरी कर सकते हैं।