(Aryakul News: Lucknow) Dhanjee, Praveen (Guidance of Ranjeet )
आर्यकुल ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेज ने अपने बच्चों को दुनिया के टॉप 5 मेगा किचन में से एक अक्षय पात्र का भ्रमण कराया। जहाँ एक साथ 1.5 लाख विद्यार्थीयों का भोजन ही नहीं बनता बल्कि उनके थाली तक सही समय से पहुँचता भी हैं। जहाँ विद्यार्थियों ने पूर्व प्रक्रिया से लेकर भोजन निर्माण और गुणवत्ता की जाँच आदि सभी के बारे में बारीकी से जाना और समझा वहीं अक्षय पात्र फाउण्डेशन के स्टाफ द्वारा विद्यार्थियों के उन सभी सवालों का जवाब दिया गया जो विद्यार्थियों के मन में अक्षय पात्र को लेकर थे।

यह भ्रमण प्रक्रिया 3 चरणों में हुआ
प्रथम चरण
इस में विद्यार्थियों को अक्षय पात्र के कार्य प्रक्रिया से बच्चों को परिचित कराया इसके बाद मिड-डे -मील की क्वालिटी को चेक कराया।
दूसरा चरण
इस चरण में विद्यार्थियों के उन सभी सवालों का जवाब दिया गया जो उनके मन में अक्षय पात्र को लेकर थे.
तीसरा चरण
इस चरण में विद्यार्थियों ने मात्र अक्षय पात्र के बारे में ही नहीं जाना बल्कि श्री कृष्ण चैतन्य प्रभु ने विद्यार्थियों को गीता के माध्यम से भोजन की उपयोगिता महत्वता के साथ ही एक सफल व्यक्ति के जीवन में भोजन की भूमिका क्या होती है को उदाहरण सहित समझाया। इतना ही नहीं गीता में कृष्ण और अर्जुन संवाद की तुलना करते हुए प्रभु ने विद्यार्थियों को उनके किसी एक लक्ष्य की तरफ बढ़ने का ज्ञान दिया। उन्होंने कहा की अगर एक समय में एक से अधिक लक्ष्य पर केंद्रित होंगे तो आप भटक सकते है। जैसे अर्जुन युद्ध से पहले भ्रमित थे। कृष्ण ने उन्हें ज्ञान दिया की आप कौन है ? क्या है? और किस लिए है ? तब उन्हें अपने लक्ष्य का ज्ञान हुआ। साथ ही उन्होंने ने कहा की आज ज्ञान के अथाह स्त्रोत है पर सही स्त्रोत की परख कर उस पर अमल करना सबसे बड़ी चुनौती है।

क्या है ?अक्षय पात्र फाउण्डेशन
अक्षय पात्र के संस्थापक मधु पंडित दास जब आईआईटी बॉम्बे में पढाई कर रहे थे तभी वे ISKCON मंदिर से जुड़ गए थे। वे ISKCON के फाउंडर ए. सी. भक्तिवेन्द्र स्वामी प्रभुपाद जी के जीवन से बहुत प्रभावित थे।
अक्षय पात्र फाउण्डेशन की शुरुआत जून 2000 में श्री मधु पंडित दास द्वारा की गयी थी। तब यह संस्था केवल बंगलुरु और कर्नाटक के पांच सरकारी विद्यालयों के 1,500 बच्चों के लिए मध्याह्न – भोजन के तहत पौष्टिक खाना मुहैया कराती थी। अपने शुरूआती दिनों में बच्चों को पौष्टिक खाना उपलब्ध कराना संस्था के लिए आसान नहीं था लेकिन कहते है न जहाँ चाह वहां राह खुद ब खुद मिल जाती है।
बीते कुछ सालों के दौरान सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई है और बहुत हद्द तक इसका श्रेय जाता है अक्षय पात्र फाउण्डेशन को जिसने न केवल पेट भरने के लिए कठोर श्रम करने वाले बच्चों के छोटे – छोटे हाथों में कागज पेंसिल थमाई बल्कि उनके लिए ताजा और पौष्टिक खाना भी बनाया। इस संस्था का एकमात्र दृष्टि है कि ‘भारत का कोई भी बच्चा भूख की वजह से शिक्षा से वंचित नहीं होगा’।
अक्षय पात्र का अर्थ
अक्षय पात्र का जिक्र हिन्दू ग्रंथ महाभारत में मिलता है। इस पात्र की खास बात यह थी कि इसका खाना कभी खत्म नहीं होता था। अक्षय पात्र नाम वहीँ से लिया गया है और उस दिव्य पात्र के भोजन की तरह ही इस संस्था की कोशिश है कि उनके द्वारा लगातार ज़रूरतमंद लोगों तक भोजन पहुँचाया जा सके।
इसके बाद सरकार ने तमाम सरकारी स्कूलों में मिड डे मील भोजन योजना लागू करने के लिए अक्षय पात्र के साथ हाथ मिलाया और इस स्कीम को कार्यान्वित किया।
शिक्षा का महाभोग अक्षय पात्र आज भारत सरकार एवं कई राज्य सरकारों ने वर्तमान में यह सार्वजनिक – निजी – साझेदारी के आधार पर काम करते हुए भारत के 11 राज्यों में 27 स्थानों पर राज्य के कला रसोई के माध्यम से आज के समय में 1,70,000 लाख के लगभग बच्चों को पौष्टिक खाना उपलब्ध करा रही है।

अक्षय पात्र का उदेश्य
बहुत लोगों को यह कहते सुना है कि सिर्फ एक समय के खाना मिलने से क्या फायदा होगा? लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत में कुपोषण और दूसरी health problems की वजह से लाखों बच्चे school छोड़ देते है।भारत में 61 लाख से भी ज्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार है जो दुनिया की कुपोषित जनसंख्या की एक तिहाई है। इतना ही नहीं आर्थिक रुप से पिछड़े घरों में 3 वक्त का खाना जुटा पाना भी मुश्किल काम होता है।
बच्चे स्कूल आते है न सिर्फ पढने के लिए बल्कि खाने के लिए भी क्योंकि उनको यहाँ पौष्टिक और पेटभर खाना खाने को भी मिलता है। अक्षय पात्र का उद्देश्य सिर्फ ऐसे बच्चों की भूख को समाप्त करना ही नहीं है बल्कि शिक्षा का सार्वभौमिकीकरण करना भी है।यह इस सोच के साथ कार्य करता है कि ‘भारत का कोई भी बच्चा भूख की वजह से शिक्षा से वंचित नहीं होगा’।
आजकल सभी स्कूलों में बच्चो के पहुँचने का समय लगभग एक है – सुबह साढ़े सात से आठ बजे के बीच।ऐसे में ज्यादातर माएं बच्चों को school सिर्फ एक गिलास दूध पिलाकर भेज देती है और तो और बेहद गरीब परिवारों के बच्चे तो बिना कुछ खाए – पिए स्कूल चले जाते है।
बच्चों को proper diet न मिलने की वजह से उनके शरीर में पौष्टिक तत्वों की कमी होने लगती है।ऐसे में अक्षय पात्र द्वारा उपलब्ध कराया जाने वाला पौष्टिक खाना ही पूरे दिन के लिए उनका एकमात्र पोषण स्रोत होता है।
लेकिन इस अक्षय पात्र का काम – काज बस खाना बनाने के बाद खत्म नहीं हो जाता है। Kitchen के अधिकारी नियमित रूप से स्कूलों में जाकर बच्चों की राय हासिल करते है।पूरे देश में काम कर रही इस foundation के चेयरमैन भी स्कूलों में अकसर आते-जाते रहते है।
अक्षय पात्र फाउण्डेशन द्वारा सरकारी स्कूलों में सुविधा से वंचित बच्चों को mid – day meal उपलब्ध कराना एक सराहनीय प्रयास है।श्री मधु पंडित दास को भारत के बच्चों के लिए अक्षय पात्र द्वारा दी जा रही बेजोड़ सेवा के लिए पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा गया है। इसके अलावा भी अक्षय पात्र को अपने सराहनीय कार्य के लिए दर्जनों अवार्ड्स मिलें हैं जिनके सूची आप यहाँ देख सकते हैं।

आप भी दे सकते है दान
जो कभी भूखा नहीं सोया वो शायद खाने की कीमत ना समझे पर करोड़ों भारतीय बच्चे जो आधा पेट खाकर या बिना खाए सो जाते है वे इसकी एहमियत बहुत अच्छी तरह समझते हैं। सचमुच अक्षय पात्र जो काम कर रहा है उसकी जितनी सराहना की जाए कम है। आइये हम भी उनकी इस मुहीम का हिस्सा बनें और इस महान काम में अपनी तरफ से योगदान दें। आप सिर्फ 950 रु डोनेट करके एक बच्चे का एक साल तक का खाना प्रायोजक कर सकते हैं। अगर आप सक्षम हैं तो ज़रूर दान करें। डोनेट करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
इस मौके पर कॉलेज प्रबंध निदेशक श्री शसक्त सिंह, रजिस्ट्रार सुदेश तिवारी, एच.आर. नेहा वर्मा व पत्रकार एवं संचार विभाग के रंजीत के साथ एजुकेशन, फार्मेसी और मैनेजमेंट छात्र-छात्रा उपस्थित रहे।